आईओसी प्रमुख बाख खेलों को राजनीति में नहीं घसीटना चाहते

आईओसी के अध्यक्ष थोमास बाख ने उन चर्चाओं का बचाव किया है जिनके जरिए रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को पेरिस में एक तटस्थ झंडे के नीचे खेलने की अनुमति दी जा सकती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

आईओसी के अध्यक्ष थोमास बाख ने उन चर्चाओं का बचाव किया है जिनके जरिए रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को पेरिस में एक तटस्थ झंडे के नीचे खेलने की अनुमति दी जा सकती है. यूक्रेन के प्रदर्शनकारी काफी आक्रोशित हैं.बुधवार शाम को करीब 160 यूक्रेनी लोग और उनके समर्थक एसेन में फिलहार्मोनिक हॉल के सामने एकत्र होकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. ये लोग इंटरनेशनल ओलंपिक समिति में चल रही बहस को लेकर अपना गुस्सा और अपनी निराशा जता रहे थे. एक प्रदर्शनकारी ने अपने हाथ में "Terrorist Putin" लिखी हुई एक तख्ती ले रखी थी तो एक अन्य प्रदर्शनकारी ने जो तख्ती हाथ में थाम रखी थी, उस पर लिखा था- "रूस और बेलारूस को ओलंपिक में भाग न लेने दो.”

ये प्रदर्शनकारी एसेन में इसलिए जुटे थे क्योंकि आईओसी के प्रेसीडेंट थोमास बाख यहां आए थे. थोमास बाख को एक राजनीतिक फोरम ने खेल की दृष्टि से वैश्विक राजनीतिक स्थिति विषय पर उनके विचार रखने के लिए आमंत्रित किया था. आईओसी कुछ ऐसी योजना बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि 2024 के पेरिस ओलंपिक गेम्स में रूस और बेलारूस को एक तटस्थ झंडे के तहत खेलने की अनुमति दी जा सके.

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एसेन में इस कार्यक्रम से पहले, बाख ने प्रदर्शनकारियों के दो प्रतिनिधियों से मुलाकात की. पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी इगोर डेनिसियुक यूक्रेन-जर्मन क्लब ओपोरा के प्रतिनिधि के तौर पर बाख से मिले. करीब दस मिनट की मुलाकात के बाद जब वो बाहर आए तो काफी परेशान दिख रहे थे. डेनिसियुक ने बताया कि ओलंपिक में भाग लेने पर रूस और बेलारूस पर प्रतिबंध लगाने के मामले में बाख ने कहा कि वो आईओसी इस मामले में कुछ नहीं कर सकता है जब तक कि संयुक्त राष्ट्र इसका विरोध नहीं करता.

बाख ने देखा कि वहां ‘स्वाभाविक तौर पर तनाव' है

एसन में चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि क्या खेलों को गैर-राजनीतिक रखा जा सकता है. इस मामले में यूक्रेन के प्रदर्शनकारियों का मत बिल्कुल स्पष्ट था. डीडब्ल्यू से बातचीत में 23 वर्षीय एक यूक्रेनी प्रदर्शनकारी याना कोवाल ने कहा, "हम चाहते हैं कि आईओसी युद्ध को प्रचारित करना और उसे बर्दाश्त करना बंद करे. रूस और बेलारूस एथलीट्स को एक तटस्थ झंडे के तहत भाग लेने की बात करके वो यही कर रही है. रूसी राजनीति अपने प्रचार के लिए इसका फायदा उठा रही है.”

इस मौके पर बाख ने आईओसी का बचाव किया. उन्होंने कहा, "दुनिया राजनीति से चलती है, खेल संगठनों से नहीं. यहां एक स्वाभाविक तनाव है.”

उन्होंने कहा कि खेल तो आनंद, एकीकरण और सहनशीलता का प्रतीक है और यह तो लोगों को जोड़ता है. यदि राजनीति हावी रहती है और इन मूल्यों का आदर नहीं करती है तो फिर खेल अपनी एकता की ताकत को प्रकट नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा कि यह सब हम लोग 1970 और 1980 के दशक में ओलंपिक का बहिष्कार करके देख चुके हैं.

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आईओसी प्रेसीडेंट बाख खुद 1976 में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का बतौर फेंसर हिस्सा रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति के विरोध में ओलंपिक में उसके खेलने का विरोध करते हुए 16 अफ्रीकी देशों ने इस ओलंपिक का बहिष्कार किया था. 1980 में हुए मॉस्को ओलंपिक खेल में बाख इसलिए हिस्सा नहीं ले सके क्योंकि पश्चिमी देशों ने एक साल पहले सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के विरोध में ओलंपिक का बहिष्कार किया था.

बाख कहते हैं, "इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए, लेकिन गैर-राजनीतिक नहीं. और हमें इन मामलों में रेफरी बनने की भूल कतई नहीं करनी चाहिए.”

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बाख कहते हैं कि कहते हैं कि खेल से जुड़े लोग कई बार तब बहुत खुश हो जाते हैं जब लोग उनसे सक्रियता की अपील करते हैं. उनके मुताबिक, "हम दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान खेल के माध्यम से नहीं कर सकते. आप इसे खेल पर नहीं डाल सकते और ऐसा करके आप खेल पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाल सकते.”

बाख कहते हैं कि इसीलिए खेल और राजनीति में एक स्पष्ट अंतर होना चाहिए, "एथलीट्स खेल में जिस तरह से प्रतिस्पर्धा करते हैं, उसे एक उदाहरण के तौर पर देखा जाना चाहिए, यह हमें प्रेरित कर सकता है, लेकिन इससे ज्यादा नहीं.”

बाख ने आईओसी से रूस और बेलारूस के एथलीटों को 2024 के पेरिस गेम्स से बाहर रखने की अपील करने वालों को भी संबोधित किया. उन्होंने कहा, "हम यूक्रेन के एथलीट्स की भावनाओं को समझ सकते हैं. कोई भी युद्ध की तस्वीरों और पीड़ाओं से खुद को दूर नहीं कर सकता.”

बाख कहते हैं कि यूक्रेन की सरकार चाहती है कि रूस और बेलारूस के सभी लोगों को अलग-थलग रखा जाए. लेकिन यह मानवाधिकारों पर यूएन घोषणापत्र और ओलंपिक चार्टर के खिलाफ होगा. उनके मुताबिक, "इस वजह से हम दुविधा में हैं. यदि हम कोई मिसाल सेट करते हैं तो यह ओलंपिक खेल की भावना को नष्ट करेगा. हम अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के बारे में बात कर रहे हैं जो कि बाद में एक राजनीतिक मोहरा बन सकती हैं.”

अगले हफ्ते, आईओसी पेरिस में 2024 के ओलंपिक खेलों में क्वालीफाई करने के लिए गाइडलाइंस बनाने की तैयारी कर रही है. इस योजना में माना जा रहा है कि रूस और बेलारूस के एथलीट्स को भी इसमें शामिल किया गया है.

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