भारत और बांग्लादेश रक्षा समझौतों के मामले में शनिवार को थोड़ा और करीब आ गए. दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, महासागर अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष और दूरसंचार के मामले में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौते किए हैं.भारतऔर बांग्लादेश के बीच ये समझौते बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के दिल्ली दौरे में हुए. नरेंद्र मोदी के तीसरी बार भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी विदेशी नेता के पहले दौरे के रूप में शेख हसीना शनिवार को भारत आईं हैं. वह दो हफ्ते पहले ही नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लेने आई थीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत प्रशांत महासागर पहल में शामिल होने के बांग्लादेश के फैसले का स्वागत भी किया. यह पहल प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से भारत के समुद्री पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए की गई है. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि बांग्लादेश के साथ करार देश की नेबरहुड फर्स्ट मुहिम का हिस्सा है.
चीन के साथ रिश्तों में संतुलन
बांग्लादेश के चीन के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं. चीन बांग्लादेश का प्रमुख कारोबारी सहयोगी है खासतौर से कच्चे माल के लिए. हालांकि बांग्लादेश के लिए चीन के साथ करीबी रिश्ता बनाए रखना बड़ी चुनौती है. क्योंकि बांग्लादेश के भारत और अमेरिका के साथ कूटनीतिक और कारोबारी संबंध हैं. ये दोनों देश चीन को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं. बांग्लादेश भारत और चीन के बीच रिश्तों को संतुलितरखने की कोशिश करता है.
बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग अपने निर्यात से देश की कुल विदेशी मुद्रा का करीब 80 फीसदी अर्जित करता है. यही कपड़ा उद्योग अपने कच्चे माल के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है. शेख हसीना ने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि दोनों देशों ने नदी जल के बंटवारे के साथ ही बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है.
प्रधानमंत्री हसीना ने भारतीय उद्योग जगत के दिग्गजों से भी मुलाकात की और उन्हें बांग्लादेश में निवेश के लिए न्यौता दिया. बांग्लादेश अपने यहां बड़े बंदरगाह, जलमार्ग, रेल और सड़क संपर्क विकसित करने की तैयारी में है. भारत ने पिछले आठ सालों में बांग्लादेश को करीब 8 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज दिया है. यह कर्ज बुनियादी ढांचे के विस्तार में मदद के लिए दिया गया है.
भारत के साथ रिश्तों में सुधार
2009 में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में बेहतरी आई है. भारतीय उग्रवादी गुटों के बांग्लादेश में शरण लेने की चिंताओं को दूर करने के लिए शेख हसीना की सरकार ने कई कदम उठाए हैं. हालांकि तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे के लिए कोई समझौता अब तक जमीन पर नहीं उतर सका है. इसके साथ ही अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला भी दोनों देशों के आपसी संबंधों में बाधा बनता रहा है.क्या बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित करता है भारत
इन सबके बावजूद बांग्लादेश के लिए भारत एशिया में निर्यात का सबसे बड़ा ठिकाना है. दोनों देशों के बीच आपसी कारोबार 2022-23 में 15.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है. भारत, बांग्लादेश को मुख्य रूप से कपास, मोटर गाड़ियां, चीनी, लोहा, अल्युमिनियम, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्यात करता है. बांग्लादेश से आयात की जाने वाली चीजों में अनाज, पल्प पेपर और बोर्ड, सीमेंट और कच्चा चमड़ा शामिल है.
भारत खुद को क्षेत्रीय ताकत और चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने देश वाले के रूप में पेश करने की कोशिश में है. इस क्रम में पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशें की गई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दो कार्यकाल इस लिहाज से बहुत सफल नहीं रहे हैं. इस दौर में पड़ोसियों के साथ संबंधों की बहुत कोशिशों के बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी. हालांकि बांग्लादेश के साथ कुल मिला कर संबंध बाकि पड़ोसियों की तुलना में बेहतर हाल में रहा है. दोनों देशों ने कई विवादों को हल करने की दिशा में कदम उठाए हैं और आपसी सहयोग को लगातार बढ़ा रहे हैं.
एनआर/एडी (एपी)