पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे उपग्रह के अनुसार, दुनिया को हरा-भरा बनाने में भारत और चीन सबसे आगे
भारत और चीन पेड़-पौधे लगाने और कृषि आधारित अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की बदौलत धरती को हरा-भरा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. यह जानकारी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे नासा के दो उपग्रहों के एक उपकरण द्वारा लगभग 20 साल तक रिकॉर्ड किए गए डेटा से मिली है
वाशिंगटन: भारत और चीन पेड़-पौधे लगाने और कृषि आधारित अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की बदौलत धरती को हरा-भरा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. यह जानकारी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे नासा के दो उपग्रहों के एक उपकरण द्वारा लगभग 20 साल तक रिकॉर्ड किए गए डेटा से मिली है, जिसे मॉडरेट रिजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर कहा जाता है. 'नेचर सस्टेनेबिलिटी' के हालिया संस्करण में प्रकाशित रपट के अनुसार, "20 साल पहले की तुलना में विश्व वास्तव में अधिक हरियाली की ओर बढ़ रहा है."
रिपोर्ट से पता चला है कि 2000 के दशक के शुरुआती दौर में वैश्विक रूप से चीन में हरियाली का विस्तार कम से कम 25 प्रतिशत हुआ और भारत भी लगभग इसके करीबी था. नासा के उपग्रहों की इस आश्चर्यजनक खोज से पता चला कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले ये दो देश पेड़ लगाने और कृषि आधारित महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के जरिए इस दिशा में काफी आगे बढ़ रहे हैं. 2017 में भारत ने केवल 12 घंटों में 6.6 करोड़ पौधे लगाकर अपना विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था.
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वहीं, बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि 1990 के दशक के मध्य में पहली बार हमें इन घटनाओं का पता चला था, लेकिन हम नहीं जानते थे कि मानव गतिविधि इसके प्रमुख व प्रत्यक्ष कारणों में से एक है. शोधकर्ताओं को डेटा के बाद पता चला है कि इस दौरान धरती की हरियाली में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पूरे अमेजॅन वर्षावन क्षेत्र के बराबर है.
नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में एक शोध वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक रामा नेमानी ने कहा, "जब हमने पृथ्वी पर यह बढ़ती हुई हरियाली पहली बार देखी थी तो हमने सोचा कि यह गर्म और आद्र्र जलवायु के कारण होगी." उन्होंने कहा, "लेकिन नासा के टेरा और एक्वा उपग्रहों से प्राप्त डेटा के बाद वैज्ञानिकों ने महसूस किया कि इसमें मानव भी योगदान दे रहे हैं. मनुष्य अविश्वसनीय रूप से सफल हुए हैं. यही हमने उपग्रह के डेटा में देखा है."