
इस समय इस्राएल कम से कम दो मोर्चों पर सशस्त्र संघर्ष में लगा है, जिसमें सिर्फ जान-माल की हानि नहीं होती, बल्कि हथियार खरीदने और सेना को तैयार रखने में भी भारी खर्च होता है. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ गया है.कोई भी युद्ध बहुत खर्चीला होता है. कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ती है. हजारों लोग घायल हो जाते हैं और उनके इलाज का खर्च भी उठाना पड़ता है. युद्ध की तबाही सिर्फ व्यक्तिगत दुख ही नहीं लाती, बल्कि सेना पर भारी खर्च होता है. इस समय इस्राएल और उसकी अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर ऐसा ही महसूस कर रही है. सरकार चाहती है कि टैक्स बढ़ाकर कुछ खर्च निकाले जाएं.
जब 7 अक्टूबर, 2023 को आतंकी समूह हमास ने इस्राएल पर हमला किया था, तब से वह गाजा में भीषण लड़ाई में लगा हुआ है. उसके बाद, इस्राएल ने सीमा पार हिज्बुल्लाह के मिसाइल और ड्रोन हमलों का जवाब देते हुए लेबनान में हवाई हमले किए. पिछले हफ्ते, इस्राएल ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से ईरान के भीतरी इलाकों में हमला किया.
बड़ी समस्याएं और ज्यादा बजट
इन सब की वजह से इस्राएल की अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा दबाव है. कई रिजर्व सैनिकों को लड़ाई के लिए बुलाया गया है, जिससे उन्हें अस्थायी रूप से अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे काम करने वाले लोगों की कमी हो गई है. वहीं, कई फलस्तीनियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए गए हैं और उनके लिए सीमा पार करना मुश्किल होता जा रहा है. युद्ध और आर्थिक दबाव की वजह से नौकरियों के लिए लोग नहीं मिल पा रहे हैं. हालांकि अप्रैल 2025 में देश में बेरोजगारी दर घटकर 3 फीसदी रह गई, जो 2021 में 4.8 फीसदी थी.
ईरान में सुप्रीम लीडर की सत्ता गई तो उनकी जगह कौन लेगा?
दूसरी ओर, इस्राएल का सैन्य खर्च काफी ज्यादा बढ़ गया है. अप्रैल में प्रकाशित स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में यह 65 फीसदी बढ़कर 46.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इससे इस्राएल का सैन्य खर्च जीडीपी का 8.8 फीसदी हो गया, जो यूक्रेन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा है. इस्राएल का 2025 का बजट 756 अरब इस्राएली शेकेल यानी 215 अरब डॉलर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा है. टाइम्स ऑफ इस्राएल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इस्राएल के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है और इसमें रक्षा क्षेत्र के लिए 38.6 अरब डॉलर शामिल है.
अनिश्चितता का सामना कर रही है इस्राएल की अर्थव्यवस्था
तेल अवीव विश्वविद्यालय के कॉलर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर इटाई एटर का कहना है कि युद्ध इस समय ‘काफी महंगा' है और ‘निकट और दीर्घकालिक भविष्य के बारे में बहुत अनिश्चितता है.' एटर ने डीडब्ल्यू को बताया, "युद्ध के दौरान हमले और बचाव दोनों मोर्चों पर सैन्य खर्च बेहद ज्यादा होता है. यह तय है कि इसका सीधा असर सरकारी बजट, घाटा, जीडीपी और इस्राएल के कर्ज पर पड़ेगा.”
परमाणु बम बनाने से कितना दूर है ईरान
पिछले 20 महीनों में कई इस्राएली नागरिकों ने सैकड़ों दिन सेना की रिजर्व ड्यूटी में बिताए हैं. कुछ लोगों को सीमा के पास के इलाकों से निकाला गया, जिससे उनकी जिंदगी भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकार की सामाजिक सुविधाओं पर भी भारी बोझ पड़ा है. एटर का कहना है कि पिछले शुक्रवार को हुए हमलों के बाद से कई लोग काम पर नहीं जा पाए हैं, जिनमें उद्योग, व्यापार, तकनीक और शिक्षा क्षेत्र के लोग शामिल हैं.
देश में आने-जाने वाली वाणिज्यिक उड़ानें भी फिलहाल निलंबित हैं. एयरलाइनों ने अपने जेट विमानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है और मध्य पूर्व के अधिकांश हिस्सों में हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है.
टैक्स बढ़ा रही है इस्राएली सरकार
इस आर्थिक दबाव की भरपाई के लिए सरकार ने टैक्स बढ़ा दिए हैं. इस साल की शुरुआत में अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं पर वैट को 17 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है. इसके अलावा, कर्मचारियों के वेतन से कटने वाला स्वास्थ्य टैक्स और राष्ट्रीय बीमा में दिया जाने वाला उनका योगदान भी बढ़ा दिया गया है.
हाइफा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एमेरिटस बेंजामिन बेंटल का कहना है कि इस्राएल की अर्थव्यवस्था को पिछले 18 महीनों में नुकसान तो हुआ है, लेकिन जितनी उम्मीद थी उससे कहीं ज्यादा मजबूत बनी हुई है. जबकि, पर्यटन, निर्माण, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ा है, लेकिन उच्च-तकनीक, रक्षा और खुदरा खाद्य जैसे उद्योगों ने मजबूती बनाए रखी है. 2024 में इस्राएल की अर्थव्यवस्था ने 540 अरब डॉलर से अधिक की कमाई की, जो पिछले वर्षों से भी अधिक थी.
ईरान और अमेरिका की रंजिश की कहानी
बेंटल का कहना है कि उच्च-तकनीक क्षेत्र की लगातार सफलता और मजबूत श्रम बाजार इस्राएल की अर्थव्यवस्था को संभाले हुए है. उनका कहना है कि श्रम बाजार ‘इतना मजबूत पहले कभी नहीं रहा'. इसके अलावा, हिज्बुल्लाह या ईरान की ओर से ऊर्जा और इंटरनेट जैसी अहम संरचनाओं पर हमले की जो आशंकाएं जताई जा रही थीं वे अब तक गलत साबित हुई हैं, जिससे कारोबार सामान्य रूप से चलते रहे हैं.
उच्च-तकनीक पर इस्राएल की ज्यादा निर्भरता
यह कोई संयोग नहीं है कि इस्राएल अपने उन्नत उच्च-तकनीक उद्योग के लिए जाना जाता है. अमेरिकी निवेश बैंक जेफरीज के मुताबिक, देश के 12 फीसदी कर्मचारी इस क्षेत्र में काम करते हैं. इन्हें काफी ज्यादा वेतन भी मिलता है और इस वजह से देश के कुल आयकर का 25 फीसदी हिस्सा इन्हीं लोगों से मिलता है.
इसके अलावा, उच्च-तकनीक से जुड़ी सेवाएं और उत्पाद इस्राएल के कुल निर्यात में 64 फीसदी का योगदान देते हैं. देश के कुल जीडीपी में लगभग 20 फीसदी योगदान भी इसी क्षेत्र का है. हालांकि, इस्राएल इनोवेशन अथॉरिटी की ओर से अप्रैल में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में उच्च-तकनीक के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या 2022 से स्थिर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में, दस वर्षों में पहली बार इस्राएल के उच्च-तकनीक क्षेत्र में काम करने वाले स्थानीय कर्मचारियों की संख्या घटी. इसी के साथ-साथ, लंबे समय के लिए देश छोड़कर बाहर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ गई. आज इस्राएल में इन कंपनियों के लगभग 3,90,000 कर्मचारी हैं और देश के बाहर 4,40,000 कर्मचारी हैं. हालांकि कुछ लोगों को डर है कि बढ़े हुए टैक्स के कारण ऐसी कंपनियां और कर्मचारी जो कहीं और जा सकते हैं, इस्राएल छोड़ सकते हैं.
निवेश और दीर्घकालिक जोखिम
इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस्राएल और उसके आसपास के हालात कब सुधरेंगे. यह अस्थिर माहौल नौकरी करने वालों, कंपनियों, और निवेशकों सभी को प्रभावित कर रहा है. एटर कहते हैं, "फिर भी, अगर आप शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा विनिमय दर को देखें, तो ऐसा लगता है कि निवेशक आशावादी हैं. शायद उन्हें उम्मीद है कि युद्ध जल्द ही खत्म हो जाएगा, ईरान का परमाणु खतरा खत्म हो जाएगा और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और यह बेहतर हो जाएगा.”
निवेशकों के लिए थोड़े समय के लिए जोखिम बढ़ गया है, लेकिन असल प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि सैन्य संघर्ष कितने समय तक चलते हैं और उनका अंत कैसे होता है. एटर ने कहा, "एक स्थिति यह भी बन सकती है कि ईरान के साथ लंबे समय तक युद्ध जारी रह सकता है. ऐसे में इस्राएल की अर्थव्यवस्था के लिए हालात अच्छे नहीं होंगे और देश की तरक्की रुक सकती है.”
इस्राएल को ईरानी हमले से बचाने वाला एयर डिफेंस
एटर का कहना है कि लंबे समय तक इस्राएल की अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा हालात और इस्राएल-फलस्तीन विवाद रहेगा. इन बाहरी तनावों के अलावा, देश के आंतरिक सामाजिक विभाजन, न्यायिक सुधार और इसके लोकतांत्रिक संस्थानों पर पड़ने वाले असर पर नजर रखना भी उतना ही जरूरी होगा.