
दुकानों में चोरी करने वालों ने जर्मनी के व्यापारियों को खासा परेशान किया हुआ है. पूरे जर्मनी में व्यापारियों को इसकी वजह से अरबों यूरो का नुकसान हुआ है.कानून व्यवस्था के मामले में सुदृढ़ माना जाने वाला जर्मनी बीते कुछ वर्षों से चोरों से परेशान है. एक ताजा सर्वे से पता चला है कि दुकानदारों के यहां चोरी के मामले 2024 मे एक बार फिर बढ़े हैं. रिटेल रिसर्च इंस्टिट्यूट ईएचआई की ताजा सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि इस तरह के मामले एक साल पहले की तुलना में 4.6 फीसदी बढ़ गए हैं. यह लगातार तीसरा साल है जब ऐसी चोरियों से होने वाला कुल नुकसान बढ़ा है. 2023 में चोरी की घटनाएं 15 फीसदी बढ़ी थीं. 2024 में दुकानदारों को इन चोरियों की वजह से कुल 2.95 अरब यूरो का नुकसान हुआ था.
जर्मनी में क्या चुराते हैं लोग
रिसर्च रिपोर्ट के लेखक फ्रांक होर्स्ट का कहना है, "ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो कुछ सामान खरीदने की हालत में नहीं हैं लेकिन उसे अपने पास रखना चाहते हैं, यह एक तरह से बढ़ती कीमतों के प्रति विरोध भी है." होर्स्ट ने बताया कि वरिष्ठ नागरिक और परिवार भी आए दिन दुकान से सामान उठाने में शामिल हो रहे हैं.
चोरों ने जर्मनी में चुराए सैकड़ों आईडी और पासपोर्ट
बीते सालों में महंगाई बढ़ने की शिकायत जर्मनी के ज्यादातर लोग कर रहे हैं. रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली चीजों से लेकर, घर का किराया, खाना और ऐसी कई चीजें हैं जिनके दाम हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं. मुमकिन है कि जरूरतें पूरी नहीं कर पाने की स्थिति में लोग दुकानों से चोरी का सहारा ले रहे हों.
ग्रहकों के हाथों होने वाली चोरियों में करीब एक तिहाई ऐसी हैं जो संगठित तरीके से चोरों या फिर उनके गैंग को काम पर रख कर की गई हैं. सबसे ज्यादा चोरियां जिन चीजों की होती हैं उनमें अल्कोहल वाले पेय, ब्रांडेड कपड़े, स्नीकर, बिजली के उपकरण और तंबाकू वाले सामान हैं. वैसे यहां साइकिल की चोरी भी बहुत आम है. चोर ना सिर्फ साइकिल बल्कि कई बार तो उसके पहिए, लाइट और उसमें लगी दूसरी चीजें भी चुरा ले जाते हैं. हालत यह है कि कई बार तो साइकिल में ताला लगे होने के बावजूद उसकी चोरी हो जाती है. इसके अलावा जर्मन रेल तांबे की चोरी से भी काफी परेशान होती रही है.
दुकान में चोरी का नुकसान
रिसर्च के लिए ईएचआई ने 98 कंपनियों के कुल 17,433 दुकानों से आंकड़े जुटाए. इसमें सभी प्रमुख रिटेल सेक्टर की दुकानें शामिल थीं. रिटेल सेक्टर को होने वाला कुल नुकसान 2024 में करीब 4.95 अरब यूरो का रहा जो 2023 की तुलना में 3 फीसदी ज्यादा है. इसमें ग्राहकों के हाथों होने वाली चोरी की वजह से हुआ नुकसान करीब आधा है. जबकि दुकानों को कर्मचारियों के कारण होने वाला नुकसान करीब 89 करोड़ यूरो का है. बाकि का नुकसान सप्लायरों, सर्विस स्टाफ या फिर संगठनात्मक गलतियों मसलन गलत प्राइस टैग लगाने जैसी वजहों से हुआ.
विशेषज्ञों का मानना है कि दुकान से सामान की चोरी बढ़ने का एक प्रमुख कारण सेल्फ सर्विस चेकआउट भी है जिनकी संख्या 2022 से ही बढ़ती जा रही है. इन दुकानों में सामान की बिलिंग करने के लिए कोई नहीं होता बल्कि ग्राहक खुद ही मशीन की मदद से अपने खरीदे सामान का बिल चुकाते हैं. जिन दुकानों में यह सेवा उपलब्ध है उनमें से लभग आधे दुकानदारों का कहना है कि उनके यहां बिलिंग घटी है जबकि ज्यादा सामान दुकान से बाहर गया है.
यह स्थिति अभी और बिगड़ने की आशंका है. ईएचआई का अनुमान है कि दुकानों से बिना पैसे दिए सामान उठाने के 98 फीसदी मामलों का पता नहीं चल पाता है. इसका मतलब है हर साल दुकानों से चोरी के तकरीबन 2.45 करोड़ मामले. इनमें हर चोरी की कीमत तकरीबन 120 यूरो है.