नाटो में शामिल हुआ फिनलैंड
रूस के साथ लंबी सीमा साझा करने वाला और अब तक तटस्थता की नीति अपनाने वाला फिनलैंड नाटो का 31वां सदस्य बन गया है.
रूस के साथ लंबी सीमा साझा करने वाला और अब तक तटस्थता की नीति अपनाने वाला फिनलैंड नाटो का 31वां सदस्य बन गया है.यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोप में एक बड़ा बदलाव हुआ है. इस ऐतिहासिक बदलाव के तहत 4 अप्रैल 2023 को फिनलैंड, नाटो का 31वां सदस्य बन गया. फिनलैंड और रूस के बीच 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा है. इसके साथ ही नाटो और रूस की सीमा की लंबाई भी अब दोगुनी हो चुकी है.
मंगलवार को ब्रसेल्स में फिनलैंड के विदेश मंत्री ने नाटो में शामिल होने के दस्तावेज अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सौंपे. अमेरिकी विदेश मंत्री नाटो की स्थापना संधि का संरक्षक होता है.
कई दशकों तक तटस्थ रहने वाले फिनलैंड और स्वीडन ने यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद नाटो की सदस्यता लेने का फैसला किया. सदस्यता पाने के लिए नाटो के हर सदस्य देश की रजामंदी जरूरी है. फिनलैंड के मामले में ऐसा हो गया. वहीं स्वीडन को लेकर तुर्की अब भी आपत्ति जता रहा है.
तुर्की ने लटकाई स्वीडन और फिनलैंड की नाटो मेम्बरशिप
फिनलैंड ने मई 2022 में नाटो का सदस्य बनने की प्रक्रिया शुरू की थी. नाटो के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई देश इतनी जल्द सदस्य बना है. फिनलैंड के पास युद्ध की स्थिति में 2,80,000 सैनिकों वाली सेना है. यह संख्या उसे यूरोप की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक बनाती है.
स्वीडन की सदस्यता का मामला अब भी तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगान ने फंसा रखा है. एर्दोगान की शिकायत है कि स्वीडन ने तुर्की के कुर्द विद्रोहियों को पनाह दी है. तुर्की, इन कुर्द विद्रोहियों को अलगाववादी आतंकवादी करार देता है.
लावरोव की चेतावनी
रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने यूरोपीय संघ पर रूस से रिश्ते खराब करने का आरोप लगाया है. आरग्युमेंटी आई फैटकी वेबासाइट को दिए इंटरव्यू में रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "यूरोपीय संघ ने रूस को खो दिया है. लेकिन यह उनकी अपनी गलती है. यूरोपीय संघ के सदस्य देश और ईयू के नेता खुलकर कह रहे हैं कि आघात पहुंचना जरूरी है, यह रूस पर एक रणनैतिक हार है."
यूक्रेन को हथियार और प्रशिक्षक मुहैया कराने वाले ईयू के कदमों को लावरोव ने "विरोधी" बताया और कहा कि रूस भी इसका जवाब देगा और "जरूरी हुआ तो कड़े ढंगे से."
इस दौरान लावरोव ने चीन के साथ रूस के रिश्तों की तारीफ भी की. उन्होंने पश्चिम पर दोनों देशों के बीच फूट डालने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया. रूसी विदेश विदेश मंत्री चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हालिया मॉस्को दौरे के संदर्भ में यह बात कह रहे थे. लावरोव ने कहा कि शी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक रणनैतिक साझेदारी तक पहुंच चुके हैं. दो हफ्ते पहले दोनों नेताओं के बीच 10 घंटे तक हुई बातचीत के बाद यह साझेदारी बनी.
साझेदारी की अहमियत का संकेत देते हुए रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "जाहिर है, हममें कॉमरेडशिप का भाव है और एक दूसरे के मूलभूत हितों की सुरक्षा के लिए हम कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने को तैयार हैं."
चीन को लेकर कंफ्यूज है यूरोपीय संघ
अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत द्वारा पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करने के ठीक बाद शी, रूसी राष्ट्रपति से मिलने मॉस्को पहुंचे. समीक्षकों को कहना है कि शी की यात्रा के जरिए पुतिन ने दिखा दिया कि चीन को ऐसे वारंट से कोई फर्क नहीं पड़ता है. इसके साथ ही चीन ने रूस की कमजोरी का फायदा उठाते हुए तेल और गैस की सस्ती सप्लाई भी पक्की कर ली.
मध्यस्थता की कोशिशें
यूक्रेन युद्ध का असर दुनिया भर के देशों पर पड़ रहा है. ईंधन महंगा होने से तमाम देश महंगाई से जूझ रहे हैं. ऐसे में तुर्की और चीन के बाद अब ब्राजील भी युद्ध शांत करवाने की पहल करता दिख रहा है. पिछले महीने ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज लूला दा सिल्वा के शीर्ष सलाहकार सेल्सो अमोरिम ने मॉस्को का दौरा किया. फ्रांस की न्यूज एजेंसी एएफपी और सीएनएन ब्राजील के मुताबिक 25 मार्च को क्रेमलिन में अमोरिम ने करीब घंटे भर तक पुतिन से मुलाकात की.
ब्राजीली राष्ट्रपति लूला ने यूक्रेन युद्ध के लिए एक मध्यस्थ ग्रुप बनाने का प्रस्ताव दिया है. अप्रैल में ब्राजीली राष्ट्रपति चीन का दौरा करने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस दौरान वह चीनी राष्ट्रपति के साथ मध्यस्थता के प्लान पर चर्चा करेंगे. इस मुलाकात के बाद 17 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री लावरोव ब्राजील का दौरा करेंगे.
ओएसजे/सीके/एनआर (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)