पाकिस्तान को फिर लगा बड़ा झटका, FATF की बैठक में दोस्तों ने नहीं दिया साथ- डार्क ग्रे लिस्ट शामिल हो सकता है नाम
इमरान खान (Photo Credits: Getty)

भयंकर कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के सामने एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई है. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकी वित्तपोषण की निगरानी संस्था एफएटीएफ द्वारा कड़ी कार्रवाई के कगार पर है और उसे डार्क ग्रे सूची में डाला जा सकता है, जो सुधरने की अंतिम चेतावनी है. संकेतों के अनुसार आर्थिक कार्रवाई कार्यबल (FATF) की यहां चल रही बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने जरूरी कदम नहीं उठाए तो उसे सभी सदस्यों द्वारा अलग-थलग कर दिया जाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के अपर्याप्त प्रदर्शन को देखते हुए वह एफएटीएफ द्वारा कड़ी कार्रवाई के कगार पर है और वह 27 में से केवल छह बिंदुओं को पारित करने में कामयाब रहा.

एफएटीएफ 18 अक्टूबर को पाकिस्तान पर अपने फैसले को अंतिम रूप देगा. एफएटीएफ के नियमों के अनुसार ग्रे और ब्लैक सूचियों के बीच एक अनिवार्य चरण है, जिसे डार्क ग्रे कहा जाता है. डार्क ग्रे का अर्थ है सख्त चेतावनी ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके. एफएटीएफ ने पाकिस्तान पर अपने कड़े फैसले से पहले पिछले महीने अमेरिका के फ्लोरिडा में बैठक की थी. तब एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा था कि वह अपनी धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद तथा आतंकी वित्त पोषण (टेरर फंडिंग) संबंधी वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और विश्वसनीय कदम उठाए.

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गौरतलब हो कि पाकिस्तान का उसकी जमीन से गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को पकड़ने और रिहा कर देने का इतिहास रहा है. एफएटीएफ ने पिछले साल जून में पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया था. पाकिस्तान को अक्टूबर 2019 तक पूरी करने के लिए एक कार्ययोजना दी गई थी. इसे पूरा नहीं कर पाने पर पाकिस्तान पर ईरान और उत्तर कोरिया के साथ काली सूची में डाले जाने का खतरा है.

पाकिस्तान के प्रदर्शन की 12 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलने वाली समीक्षा यह तय करेगी कि इस्लामाबाद ग्रे सूची में रहता है या उसे काली सूची में डाल दिया जाता है या क्लीन चिट दे दी जाती है. वेल्स ने पिछले महीने भी पाकिस्तान से कहा था कि वह सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों के खिलाफ अभियोग चलाए. उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होना इस बात पर निर्भर करेगा कि इस्लामाबाद सीमा पार घुसपैठ में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कितना गंभीर है.