चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि अगर US रूस से तेल आयात को लेकर चीन पर एकतरफा प्रतिबंध लगाता है, तो वह कड़े जवाबी कदम उठाएगा. चीन ने अपने ऊर्जा व्यापार को "वैध और कानूनी" बताया और अमेरिका पर एकतरफा धमकी और आर्थिक दबाव डालने का आरोप लगाया, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को खतरा पहुंचता है. यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उन्हें आश्वस्त किया कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा.
भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत का रुख स्पष्ट है.
ट्रंप ने चीन से भी किया ऐसा करने का आग्रह
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन यूक्रेन संघर्ष पर निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ रुख बनाए रखता है और उसकी नीति "खुली और पारदर्शी" है. उन्होंने कहा, "हम चीन पर अमेरिका की एकतरफा कार्रवाई और अवैध प्रतिबंधों का कड़ा विरोध करते हैं. अगर चीन के वैध अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचता है, तो हम अपने संप्रभुता, विकास और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएंगे."
चीन का रूस से तेल आयात
चीन रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है, उसके बाद भारत आता है. Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) के अनुसार, चीन रूस के लगभग 60% ऊर्जा निर्यात का आयात करता है.
दुर्लभ धातुओं पर तनाव
तेल के अलावा चीन और अमेरिका के बीच हाल ही में दुर्लभ पृथ्वी (Rare Earth) के निर्यात पर भी तनाव बढ़ा है. ये खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, और चीन इनकी खनन और प्रसंस्करण में प्रमुख है.
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने चीन की इस कार्रवाई की आलोचना की और कहा कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जवाब देगा. चीन ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उसके नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार हैं और उनका उद्देश्य सैन्य दुरुपयोग को रोकना है.
बातचीत के लिए दरवाजा खुला
हालांकि चीन ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी, उसके वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता हे योंगकियान ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापारिक मुद्दों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने के लिए चीन खुला है.













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