वाशिंगटन: मोदी सरकार का मौजूदा कार्यकाल तीन जून को समाप्त होने वाला है. इन पांच सालों के दरमियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया. जिसके कारण विरोधियों और देश के दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी है. दरअसल ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योकि भारत को नाटो सहयोगी (NATO Ally) का दर्जा देने के लिए अमेरिकी संसद (US Congress) में बिल पेश किया गया है.
जानकारी के मुताबिक यह बिल इस सप्ताह कांग्रेस संसद में फॉरेन अफेयर्स कमेटी के वरिष्ठ सदस्य जोए विल्सन (Joe Wilson) द्वारा पेश किया गया था. उत्तरी अटलांटिक संधि संघ (नाटो) का दर्जा मिलने से अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझीदारी को और मजबूती मिलेगी.
अमेरिकी कांग्रेस में पेश हुए विधेयक संख्या एचआर 2123 अगर पारित हो जाता है तो इससे यह सुनिश्चित होगा कि अमेरिका शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के उद्देश्यों के अंतर्गत भारत को नाटो का सहयोगी माना जाए. इसके परिणामस्वरुप सभी रक्षा सौदों के लिए भारत की दावेदारी अधिक हो जाएगी या प्राथमिकता मिलेगी.
विल्सन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इस क्षेत्र में स्थिरता का एक स्तंभ है, और नियंत्रण नीतियों को निर्यात करने के लिए मजबूत प्रतिबद्धताओं को दर्शाया है. नया अमेरिकी कानून हिंद-प्रशांत रणनीति सहयोग मंच में अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धता को बढ़ावा देगा.
गौरतलब हो कि इसी साल जनवरी महीने में एक प्रभावशाली अमेरिकी सांसद ने यूएस कांग्रेस में पाकिस्तान के प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के दर्जे को समाप्त करने के लिए एक बिल पेश किया था. रिपब्लिकन कांग्रेसमैन ऐंडी ब्रिग्स ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में आतंकियों के खिलाफ कड़े कदम नही उठाने का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव 73 पेश किया था. आगे की कार्रवाई के लिए इस प्रस्ताव को हाउस ऑफ फॉरन अफेयर्स कमिटी को भेजा गया है.
नाटो (NATO) का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रसेल्स में स्थित है. नाटो एक सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 04 अप्रैल 1949 को की गई थी. इस संगठन में शामिल देशों के बीच एक दूसरे की सामूहिक सुरक्षा का जिम्मा होता है. नाटो का 30वां सदस्य देश मैसिडोनिया बना है.