
बांग्लादेश को उम्मीद थी कि इस साल वह टीबी उन्मूलन के लिए चल रही कोशिशों में अपनी सफलताओं से संतुष्ट होगा. ट्रंप प्रशासन ने ढाका को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता में 4.8 करोड़ डॉलर की कटौती कर उसे संकट में डाल दिया है.बांग्लादेशी अधिकारियों को उम्मीद थी कि इस साल दक्षिण एशियाई देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई और भी अधिक सफल होगी. ऐसा इसलिए भी माना गया क्योंकि सरकार ने इस बीमारी से देश भर में हर साल होने वाली मौतों की संख्या को कई हजार तक कम करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था.
डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद कई क्षेत्रों में बाहरी दुनिया को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता को समाप्त करने या उसमें भारी कटौती करने की घोषणा की, तो इस कदम का बांग्लादेश जैसे देशों पर भी बड़ा असर पड़ा.
सालों की मेहनत बर्बाद होने का खतरा
बांग्लादेश को संयुक्त राज्य अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) से 4.8 करोड़ डॉलर की सहायता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसमें कटौती कर दी गई. फंडिंग में कटौती पर बांग्लादेश के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उनकी सालों की कड़ी मेहनत और अब तक की उपलब्धियों पर पानी फिरने का खतरा है. इतना ही नहीं, अब हजारों लोगों की मौत का खतरा भी पैदा हो गया है, जिसे इन सहायता राशियों का इस्तेमाल उनके इलाज में करके टाला जा सकता था.
ढाका में मजदूर मोहम्मद परवेज ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मैं बहुत गंभीर प्रकार के टीबी के संक्रमण से पीड़ित हूं." अस्पताल के बिस्तर पर लेटे और बुरी तरह खांसते हुए परवेज कहते हैं, "मेरा इलाज जीवन रक्षक दवाओं से किया जा रहा है, जो यूएसएआईडी कार्यक्रम के तहत अस्पताल को उपलब्ध कराई गई थीं."
परवेज को जो रोग हुआ है, उसमें रोगाणुओं ने कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है, और उन्हें इलाज के लिए लगभग एक साल तक अस्पताल में ही रहना पड़ेगा. उनके डॉक्टर भी उनकी बीमारी से संबंधित हर विवरण का नियमित रिकॉर्ड रख रहे हैं. अब समस्या यह है कि परवेज को यह पता नहीं है कि उनका इलाज कब तक चल पाएगा.
ढाका का यह अस्पताल जहां परवेज का इलाज चल रहा है, विशेष रूप से टीबी रोगियों के इलाज के लिए जाना जाता है. अमेरिका ने इस अस्पताल के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं. अस्पताल की डिप्टी डायरेक्टर आयशा अख्तर ने एएफपी को बताया, "बांग्लादेश दुनिया के उन सात देशों में शामिल है जहां टीबी रोगियों की संख्या और अनुपात सबसे अधिक है." उन्होंने कहा, "हमारा इरादा था और अब भी है कि 2035 तक हमारे देश से इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए."
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बढ़ती मौतें और चिंता
हाल के वर्षों में बांग्लादेश ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रगति की है. 2010 में देश में टीबी के कारण होने वाली मौतों की सालाना संख्या 81,000 से अधिक थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश में टीबी के कारण होने वाली वार्षिक मृत्यु की संख्या 2023 में घटकर 44,000 हो गई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की "ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट 2024" के मुताबिक 2023 में दुनियाभर में 82 लाख लोग टीबी से संक्रमित हुए, जो 1995 में निगरानी शुरू होने के बाद से सबसे ज्यादा है. यह आंकड़ा 2022 के 75 लाख नए मामलों से काफी अधिक है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में टीबी से संक्रमित लोगों की अनुमानित संख्या 1.08 करोड़ रही, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जिनकी बीमारी का औपचारिक रूप से पता नहीं चला था.
क्या है 'यूएसएड'
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) को 1961 में जरूरतमंद देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के मकसद से बनाया गया था. यह संस्था सालाना अरबों डॉलर की मदद दुनिया भर के देशों तक पहुंचाती है. लेकिन ट्रंप ने कार्यभार संभालते ही एक कार्यकारी आदेश के जरिए यूएसएड पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी. अब इसे बंद करके, मदद तय करने की जिम्मेदारी सीधे विदेश मंत्रालय को सौंपी जाएगी.
40 अरब डॉलर के सालाना बजट वाले यूएसएड के जरिए अमेरिका नेपाल, इस्राएल, मिस्र, यूक्रेन, सूडान, बोत्स्वाना, कांगो, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नाइजीरिया समेत कई देशों को आर्थिक मदद पहुंचाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद इन देशों में चल रहे स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े कार्यक्रमों को जरूर नुकसान पहुंचेगा.
डॉ. अख्तर ने कहा, "बांग्लादेश में टीबी रोधी कार्यक्रम पर बड़ी मेहनत से काम किया जा रहा है." फिर एक दिन अचानक यूएसएआईडी ने सहायता देना बंद कर दिया.