बांग्लादेश: छात्र चाहते हैं मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने एक अंतरिम सरकार बनाने की मांग की, जिसका नेतृत्व नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस करेंगे. भारत ने हसीना को शरण दी हुई है.भारत के पड़ोसीदक्षिण एशिया के देश बांग्लादेश में तेजी से बदलते घटनाक्रम में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के संयोजकों ने मंगलवार, छह अगस्त की सुबह एक फेसबुक लाइव के जरिए मांग की कि देश में एक नई अंतरिम सरकार बनाई जाए. साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया जाए.

छात्रों ने बताया कि उन्होंने यूनुस से इस बारे में बात की है और उन्होंने अपनी हामी दे दी है. छात्रों ने देश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से अपील की कि वो जल्द ही अंतरिम सरकार बनवाएं. छात्रों ने यह भी कहा कि यूनुस के अलावा इस सरकार के अन्य सदस्यों के नाम जल्द बताए जाएंगे.

उन्होंने अपने फेसबुक लाइव में यह भी स्पष्ट किया कि इस सरकार के अलावा और किसी भी सरकार को स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, "ना सैन्य सरकार, ना सेना समर्थित सरकार और ना फासीवादियों की सरकार को स्वीकार किया जाएगा." बांग्लादेश के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख ने अंतरिम सरकार की मांग पर अभी तक कुछ नहीं कहा है.

भारत की भूमिका

इस बीच शेख हसीना भारत में हैं. वो सोमवार शाम दिल्ली के करीब गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब वो किसी अज्ञात 'सेफ हाउस' में हैं. मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि वो ब्रिटेन जाने की कोशिश कर रही हैं.

हसीना ने ब्रिटेन से 'एसाइलम' यानी शरण मांगी है, लेकिन अभी तक ब्रिटेन ने उनकी अर्जी स्वीकार नहीं की है. शरण मिलने पर वो भारत छोड़ कर ब्रिटेन चली जाएंगी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत खुद इस बात से चिंतित है कि ढाका के घटनाक्रम का उस पर क्या असर पड़ेगा.

बताया जा रहा है कि भारत बांग्लादेश में फंसे अपने नागरिकों और ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट के मुताबिक भारतीय वायु सेना को मंगलवार को ही ढाका में उच्चायोग के अधिकारियों और अन्य भारतीय नागरिकों को निकाल कर भारत लाने के लिए कहा गया है.

इस बीच नई दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सभी पार्टियों के नेताओं को बांग्लादेश में ताजा स्थिति की जानकारी दी. बैठक में क्या बातचीत हुई इस बारे में सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.

जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि सरकार को बैठक में सभी पार्टियों से समर्थन मिला. हालांकि मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि पार्टियों के नेताओं ने यह सवाल उठाया कि सरकार ने पूरी तरह से हसीना को अपना समर्थन दिया हुआ था तो ऐसे में अब होने वाले बदलावों को देख कर भारत सरकार अपने हितों की सुरक्षा कैसे करेगी.

एनडीटीवी की वेबसाइट के मुताबिक जयशंकर ने बैठक में कहा कि स्थिति लगातार बदल रही है और सरकार सही समय पर उचित कदम उठाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार बांग्लादेश की सेना से संपर्क में है, ताकि उस देश में भारतीय लोगों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

कौन हैं मोहम्मद यूनुस

मोहम्मद यूनुस बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और सिविल सोसाइटी नेता हैं. उन्हें ग्रामीण बैंक नाम के सामुदायिक बैंक की स्थापना के जरिए देश में छोटे-छोटे ऋण देने की प्रणाली को सफल बनाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था.

वो बांग्लादेश के इकलौते नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं. उनकी इस पहल से गरीबों को काफी मदद मिली थी जिस वजह से नोबेल पुरस्कार उन्हें और ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से दिया गया था.

2006 में उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर बांग्लादेश में चुनावों में ईमानदार और साफ छवि के उम्मीदवार उतारने की एक मुहिम शुरू की. वो एक राजनीतिक पार्टी भी शुरू करने वाले थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी इस योजना को छोड़ दिया.

2011 में शेख हसीना की सरकार ने ग्रामीण बैंक की गतिविधियों की जांच शुरू की. जांच शुरू होने के कुछ ही दिनों में सरकार ने यूनुस को बैंक से निकाल दिया. उसके बाद एक एक कर उनके खिलाफ कई तरह के मुकदमे दायर किए गए.

जनवरी, 2024 में बांग्लादेश की एक अदालत ने इन्हीं में से एक मामले में यूनुस को छह महीने जेल की सजा सुनाई, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई. इस फैसले को कई लोगों ने विवादास्पद कहा.

जयशंकर: 'शाॅर्ट नोटिस' पर मिला हसीना का अनुरोध

इस बीच जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में जनवरी, 2024 में चुनावों के नतीजे आने के बाद से ही काफी "तनाव" था और "ध्रुवीकरण" बढ़ रहा था और यही स्थिति जून में छात्र आंदोलन के और भड़क जाने की "नींव" बनी.

जयशंकर ने कहा कि जुलाई में भी हिंसा चलती रही, लेकिन भारत लगातार संयम बरतने की सलाह देता रहा और कहता रहा कि बातचीत से स्थिति को सुलझाना चाहिए. लेकिन बाद में पूरे आंदोलन का एक ही मकसद हो गया और वो था प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा.

जयशंकर के मुताबिक पांच अगस्त को जब कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी ढाका पहुंच गए तो उसके बाद हसीना ने सुरक्षा तंत्र के नेताओं के साथ चर्चा कर इस्तीफा देने का फैसला कर लिया.

उन्होंने काफी 'शाॅर्ट नोटिस' पर कुछ समय के लिए भारत आने का अनुरोध किया. ठीक उसी समय भारत में बांग्लादेशी अधिकारियों की तरफ से भेजा फ्लाइट क्लीयरेंस का अनुरोध भी पहुंचा. उसके बाद वो सोमवार की शाम भारत आ गई.

बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के विषय में जयशंकर ने कहा कि उनकी संख्या करीब 19,000 है, जिनमें 9,000 विद्यार्थी शामिल हैं. अधिकांश छात्र पहले ही भारत वापस आ चुके हैं और जो लोग अभी भी वहां हैं हम उनसे अपने उच्च आयोग और वाणिज्य दूतावासों के जरिए संपर्क में हैं.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपेक्षा करती है कि मेजबान सरकार उच्च आयोग और वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. जयशंकर ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों का भी जिक्र किया और कहा कि चार अगस्त की हिंसा में कई स्थानों पर अल्पसंख्यकों, उनकी दुकानों और मंदिरों को भी निशाना बना गया.

विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसी खबरें आई हैं कि कई समूह और संगठन अल्पंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं, जिसका भारत स्वागत करता है. लेकिन "हम स्वाभाविक रूप से तब तक चिंतित रहेंगे जब तक कानून और व्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से पहली जैसी ना हो जाए."

जयशंकर ने पूरी स्थिति समझाने के बाद कहा कि बांग्लादेश एक "महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है जिसे लेकर हमेशा ही एक मजबूत राष्ट्रीय सर्वसम्मति रही है" और इस स्थिति को लेकर सरकार संसद के दोनों सदनों से "समझ और समर्थन" का अनुरोध करती है.