चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के प्रमुख मसूद अजहर (Masood Azhar) को ग्लोबल आतंकवादी (Global Terrorist) घोषित करने के प्रस्ताव पर 'टेक्निकल होल्ड' लगा दिया है. चीन के कारण आतंकी संगठन जैश का मुखिया मसूद अजहर फिर से ग्लोबल आतंकी घोषित नहीं हो सका. सयुंक्त राष्ट्र की समिति की 1267 प्रतिबंध कमेटी की सुनवाई में चीन ने चौथी बार तकनीकि कारणों के आधार पर मसूद मजहर को ग्लोबल आतंकी नहीं होने दिया. चीन की इस हरकत पर भारत सहित पूरी दुनिया में उसकी किरकिरी हो रही है. चीन ने लगातार भारत की आतंकवाद विरोधी गतिविधियों पर अड़ंगे लागाए. भारत की तरफ से चार बार इस दिशा में प्रयास किए गए लेकिन चारों बार चीन ने रास्ता रोक दिया.
मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने लिए भारत को इस बार 13 देशों का साथ मिला था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद इस विषय पर बात करने के लिए बीजिंग भी गई थी. सुरक्षा परिषद के सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के अलावा सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य देश पोलैंड, बेल्जियम, इटली, बांग्लादेश, मालदीव, भूटान, गुयाना, जापान और आस्ट्रेलिया ने साथ दिया. इन तमाम कोशिशों के बाद भी चीन आतंक के खिलाफ बने जनमत के दबाव में नहीं आया और चौथी बार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी नहीं होने दिया. चीन ने कहा कि उसे ठीक से विचार करने के लिए और समय की जरुरत है. यह भी पढ़ें- चीन के मसूद प्रेम के पीछे छिपा है यह राज, पुलवामा के गुनाहगार को नहीं बचाने पर होगा बड़ा नुकसान
अमेरिका ने सुनाई खरी-खरी
चीन की इस हरकत पर अमरीका ने कहा है कि यह एक नाकामी है और इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ेगा. 10 साल से चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. 2009 से वह इस मामले में पाकिस्तान के साथ क्यों खड़ा है, समझना चाहिए. सबसे पहले मुंबई हमले के बाद भारत सरकार ने 2009 में जैश के मुखिया को ग्लोबल आतंकी की सूची में डलवाने की मुहीम शुरू की, उसके बाद 2016, 2017 और अब 2019 में हुए प्रयास के एक ही नतीजे रहे.
अमरीका ने यह तक ने कहा कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने में जो नाकामी रही है वो अमरीका और चीन दोनों के लक्ष्य के खिलाफ है. मगर चीन पर कोई असर नहीं पड़ा. भारत ने प्रयास किया, उसे सफलता नहीं मिली. आतंकी मसूद अजहर का संरक्षक पाकिस्तान है, चीन पाकिस्तान और मसूद अजहर का समर्थन किया है.
क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के तहत स्थापित प्रतिबंध समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी घोषित होने के बाद व्यक्ति किसी भी देश की यात्रा नहीं कर सकता. पूरी दुनिया में उसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाती हैं और किसी भी देश से हथियार नहीं ख़रीद सकता. चीन ने अपने वीटो का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है. चीन का कहना है कि उसे '' इस मामले में और ज्यादा अध्ययन '' करने की जरूरत है.
चीन चार बार खारिज कर चुका है प्रस्ताव
मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद साल 2009 में भारत ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ये प्रस्ताव पेश किया था. साल 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद भारत ने फिर इस प्रस्ताव को पेश किया. इस बार भारत का साथ दिया यूनाइटेड किंगडम, अमरीका और फ्रांस ने.
इन तीनों ही देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी देश का दर्जा प्राप्त है लेकिन ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका. साल 2017 में जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सेना के कैम्प में हुए हमले के बाद भारत ने फिर ये प्रस्ताव यूएन में पेश किया और इन तीनों ही बार चीन ने ये कहते हुए 'टेक्निकल होल्ड' लगाया कि उसे इस मुद्दे को समझने के लिए और समय चाहिए.