चीन के मसूद प्रेम के पीछे छिपा है यह राज, पुलवामा के गुनाहगार को नहीं बचाने पर होगा बड़ा नुकसान
शी जिनपिंग और मसूद अजहर (File Photo)

नई दिल्ली: चीन (China) ने बुधवार को एक बार फिर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर (Masood Azhar) को वैश्विक आतंकी घोषित करने में रोड़ा डाला है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर तीसरी बार तकनीकी रोक लगा दी है. हालांकि चीन के नापाक पाकिस्तान के साथ के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है.

जानकारों की मानें तो पाकिस्तान के बलबूते आतंक का घिनौना खेल खेलने वाले मसूद अजहर को चीन का संरक्षण अपने महत्वकांशी परियोजना सीपीईसी के लिए मिला है. दरअसल चीन को डर है कि अगर वह जैश-ए-मोहम्मद चीफ के खिलाफ कोई कदम उठाएगा तो उसके चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर मुसीबत आ सकती है.

जेईएम द्वारा सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आत्मघाती हमला करने के बाद फ्रांस मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए ब्रिटिश और अमेरिका के साथ मिलकर नए सिरे से प्रयास किया था. जिसके खिलाफ चीन ने अपना  वीटो इस्तेमाल किया. यह तकनीकी रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है.

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बता दें की सीपीईसी प्रोजेक्ट चीन के सीक्यांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा. इसके बीच में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) और गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ ही खैबर पख्तूनख्वा का मनसेहरा जिला भी पड़ता है जहां पर बालाकोट स्थित है. यहीं पर भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक करके करीब 200 से अधिक आतंकियों का खात्मा कर दिया था. यहीं पर जैश का हेडक्वार्टर और कई आतंकी ट्रेनिंग कैंम्प भी है. इसलिए अगर चीन मसूद अजहर को बैन करने का समर्थन करेगा तो सीपीईसी का काम मुश्किल में पड़ सकता है. क्योकि फिर सीपीईसी आतंकियों के निशाने पर आ जाएगा. इसके साथ ही चीन का पाकिस्तान में अपने पांव जमाने का भी सपना टूट जाएगा.

चीन पाकिस्तान में पाइपलाइन, रेलवे समेत कई तरह के नेटवर्क में निवेश कर रहा है. चीन ने इस तरह के अपने 39 महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बनाए हैं जिनमें से करीब 19 प्रोजेक्ट अब तक वह पेश कर चुका है. इसके लिए 2015 से अब तक चीन करीब 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्चा कर चुका है.

गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवानों की मौत हो गई थी. इस हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था.