
यूरोप की सबसे बड़ी बीमा कंपनी आलियांज के मालिक ओलिवर बैटे के मुताबिक सिक लीव लेने के मामले में जर्मनी वर्ल्ड चैंपियन है. कई जर्मन कंपनियों ने इशारा किया है कि इसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.कर्मचारियों का ज्यादा बीमार होना किसी देश के लिए कितनी बड़ी समस्या बन सकता है, यह जर्मनी में इन दिनों चर्चा का मुद्दा है. जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक 2023 में कर्मचारियों ने औसतन 15.1 दिनों की पेड सिक लीव ली. आंकड़ों के मुताबिक 2019 से कर्मचारियों ने ज्यादा सिक लीव लेनी शुरू कर दी है.
कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि दूसरे यूरोपीय देशों के मुकाबले बीमार होने पर छुट्टी लेने में सबसे आगे जर्मन कर्मचारी ही हैं. स्टैटिस्टा के 2023 के एक सर्वे में पता चला कि यूरोपीय देशों के मुकाबले एशियाई देशों के कर्मचारी तो छुट्टी लेते ही नहीं हैं. उदाहरण के तौर पर सर्वे में शामिल 51 फीसदी दक्षिण कोरियाई कर्मचारियों ने कहा कि उन्होंने पूरे साल सिक लीव नहीं ली. जापान के 45 फीसदी, कनाडा और अमेरिका के 23 फीसदी और जर्मनी के केवल 20 फीसदी कर्मचारियों ने कोई सिक लीव नहीं ली थी.
जर्मनी: एक ओर कामगारों की कमी, दूसरी ओर मौजूदा वर्करों में बढ़ती बेरोजगारी
परेशान हैं जर्मन कंपनियां?
हालांकि, जर्मन कंपनियां इस ट्रेंड से नाखुश हैं. यूरोप की सबसे बड़ी बीमा कंपनी आलियांज के सीईओ ओलिवर बैटे के मुताबिक सिक लीव लेने के मामले में जर्मनी वर्ल्ड चैंपियन है. जर्मनी के अखबार हांडेल्सब्लाट को दिए गए एक इंटरव्यू में बैटे ने "वेटिंग डे” लागू करने का सुझाव दिया. इसके तहत अगर कोई कर्मचारी बीमार होता है तो उसे बीमार होने के पहले दिन के पैसे ना दिए जाएं. बीमारी के लक्षण दिखने का इंतजार किया जाए. बैटे के मुताबिक इस एक कदम को लागू करके कंपनियों को 40 अरब यूरो की बचत हो सकती है.
जर्मन इकॉनमिक इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट बताती है कि जर्मनी ने कर्मचारियों की सिक लीव पर 2023 में करीब 77 अरब यूरो खर्च किए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मर्सिडीज बेंज के सीईओ ओला कैलेनियस ने भी कर्मचारियों के ज्यादा सिक लीव लेने पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि जर्मनी में लोगों के बीमार पड़ने की दर दूसरे यूरोपीय देशों से अधिक है जिससे देश को आर्थिक नुकसान हो सकते हैं.
ऐसा ही कुछ अक्टूबर 2024 में देखने को मिला जब बर्लिन में कार कंपनी टेस्ला के मैनेजर उन कर्मचारियों के घर गए जो सिक लीव पर थे. टेस्ला का कहना था कि उनकी कंपनी के कर्मचारी सिक लीव का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे थे. कंपनी के मुताबिक पिछले साल की गर्मियों में उनके 15 फीसदी कर्मचारी औसतन हर दिन सिक लीव पर थे.
क्या हैं जर्मनी के नियम
जर्मनी में कर्मचारियों को अब अधिकतम छह हफ्तों तक की पेड लीव दी जा सकती है. लेकिन यह तभी मुमकिन है जब तीन दिनों के बाद आपके पास डॉक्टर का लिखा हुआ नोट हो कि आप बीमार हैं. साथ ही जर्मनी में बीमार पड़ने पर लोग अपने डॉक्टरों को फोन करके पांच दिनों तक की छुट्टी ले सकते हैं. इसके लिए उन्हें डॉक्टरों के पास भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती. चूंकि यह एक आसान प्रक्रिया है, इसलिए कहा जा रहा है कि इस प्रक्रिया के कारण ही कर्मचारी आसानी से छुट्टी ले पा रहे हैं.
डीडब्ल्यू से हुई बातचीत में जर्मन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष क्लाउस राइनहार्ट ने इस बात से साफ इनकार किया. वह कहते हैं कि इस बात का कोई आधार नहीं है कि फोन के जरिए अब सिक लीव मिल सकती है तो लोग ज्यादा छुट्टियां लेने लगे हैं. चूंकि फोन भी वही मरीज करते हैं जो डॉक्टर के पास रजिस्टर हैं,जिनकी बीमारियों के बारे में डॉक्टर को पता है.
कंपनियों का दिवालियापन जर्मनी में संकट बन रहा है
राइनहार्ट को नहीं लगता कि लोग इस सुविधा का गलत फायदा उठा रहे हैं. जर्मनी के कर्मचारियों की बढ़ती उम्र को वह एक बड़ी वजह के रूप में देखते हैं. वह कहते हैं कि जर्मनी के कर्मचारियों की औसत उम्र बढ़ रही है और बढ़ती उम्र के साथ लोग अधिक बीमार पड़ते हैं.
बात जब लोगों के अधिक बीमार होने की हो तो यह जर्मनी में डॉक्टरों की भारी कमी के बगैर पूरी नहीं हो सकती. यूरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को अगले कुछ सालों में करीब 50,000 नए डॉक्टरों की जरूरत पड़ेगी. आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी में डॉक्टर पहले से ही बेहद दबाव में काम कर रहे हैं.
कर्मचारियों के अधिकार से जुड़ा मुद्दा
1970 के दशक में जर्मनी में पेड सिक लीव इसलिए लाई गई थी ताकि बीमार लोग दफ्तर आकर दूसरे कर्मचारियों में संक्रमण ना फैला दें. लेकिन आज यह कर्मचारियों के लिए एक बुनियादी अधिकार में तब्दील हो चुका है. तभी तो आलियांज और मर्सिडीज के मालिकों के बयान से जर्मनी के ट्रेड यूनियन खफा हैं.
सिक लीव के पहले दिन का भुगतान ना करने के सुझाव पर जर्मन ट्रे़ड यूनियन कॉन्फेडरेशन ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे कार्यस्थल पर फैलने वाले संक्रमण को रोकने की कीमत भी चुकानी होगी. जब टेस्ला के मैनेजर बीमार कर्मचारियों के घर पहुंचे थे, तब कामगार यूनियनों ने कहा था कि टेस्ला के कर्मचारियों पर काम का दबाव बहुत ज्यादा है, इसलिए वे बीमार हो रहे हैं.
एक तरफ जहां कंपनियां पेड सिक लीव के आर्थिक नुकसान गिनवा रही हैं वहीं इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पेड सिक लीव संकट के दौर में बेहद अहम भूमिका निभाती है. अगर यह सुविधा कर्मचारियों के लिए मौजूद ना हो तो उन्हें अपने स्वास्थ्य और काम में से किसी एक का चुनाव करना पड़ता है. आईएलओ की रिपोर्ट यह भी कहती है कि पेड सिक लीव का खर्च उठाया जा सकता है. साथ ही यह अर्थव्यवस्था, कंपनियों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता के लिए फायदेमंद है.
आरआर/वीके