पत्रकार इहसाने अल कादी को "अपने व्यवसाय के लिए विदेशी वित्तीय सहायता प्राप्त करने" के लिए जेल की सजा सुनाई गई है. मानवाधिकार संगठनों ने इस सजा की निंदा की है.अल्जीरिया की एक अदालत ने रविवार को प्रसिद्ध पत्रकार इहसाने अल कादी को पांच साल की जेल की सजा सुनाई, जिसमें से दो साल की सजा निलंबित कर दी गई है. सरकार के कट्टर आलोचक अल कादी को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था और उन पर विदेशी धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था.
अल्जीरियाई कानून किसी को भी "देश की सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को उकसाने" के उद्देश्य से धन प्राप्त करने से रोकता है.
अल कादी की मगरिब इमर्जेंट न्यूज वेबसाइट और रेडियो एम को भी बंद कर दिया गया है. यह देश के कुछ शेष स्वतंत्र मीडिया संगठनों में से एक था. राजधानी अल्जीयर्स की एक अदालत ने उस मीडिया कंपनी को भंग करने का भी आदेश दिया, जिसके पास अल कादी की वेबसाइट और रेडियो स्टेशन का स्वामित्व है. अल कादी के वकील अब्दुल गनी बदी ने कहा कि वह सजा के खिलाफ अपील करेंगे.
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अल्जीरिया में विरोध आंदोलन के खिलाफ कार्रवाई
अल कादी उन कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक हैं जिन्हें हाल ही में जेल भेजा गया है. जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने अल्जीरिया में स्वतंत्र आवाजों पर जारी हमले की सरकारी कार्रवाइयों की आलोचना की थी. उन्होंने अधिकारियों पर लोकतंत्र समर्थक विरोध आंदोलन तहरीक अल-हिरक को कुचलने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
इस आंदोलन में अल कादी बहुत सक्रिय थे, जिसके कारण 2019 में लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे अब्दुलअजीज बुउताफ्लिका को इस्तीफा देना पड़ा.
फरवरी में, मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर ने अल्जीरियाई अधिकारियों से नागरिक समाज और मानवाधिकार समूहों के कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई को समाप्त करने का आह्वान किया था.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा 2022 प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में अल्जीरिया को 134वां स्थान दिया गया है. आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर ने ट्विटर पर लिखा कि अल कादी को रविवार को अदालत द्वारा दी गई सजा "हास्यास्पद" है और केवल मनगढ़ंत आरोपों को उजागर करने का काम करती है.
एए/वीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)