Texas Shootout: अमेरिका में भीषण गोलीबारी, टेक्सास हमले में 3 पुलिसकर्मी घायल, मारा गया संदिग्ध हमलावर

डलास, टेक्सास: डलास पुलिस के तीन अधिकारियों को गुरुवार देर रात ईस्ट लेडबैटर ड्राइव के 900 ब्लॉक में गोली मार दी गई. सीबीएस न्यूज़ टेक्सास के सूत्रों के अनुसार, संदिग्ध भी गोलीबारी में मारा गया. घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पतालों में भेजा गया. बैलेयर यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर पर भारी पुलिस बल तैनात है. अधिकारियों की स्थिति के बारे में तत्काल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है. इस घटना ने डलास शहर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है और पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच पर सभी की नजरें टिकी हैं.

अमेरिका में क्यों होती है गोलीबारी की इतनी वारदात

अमेरिका में गोलीबारी की घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है. हाल की रिपोर्ट्स और विश्लेषण से पता चला है कि इस स्थिति का मुख्य कारण देश में हर दूसरे घर में बंदूक की मौजूदगी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका में 100 में से 88 लोगों के पास एक बंदूक है. 2019 और 2021 के बीच, अमेरिका में 75 लाख से अधिक लोगों ने पहली बार बंदूक खरीदी है.

अमेरिका में गोलीबारी से होने वाली मौतें

अमेरिका में गोलीबारी के कारण मौतों का आंकड़ा चिंताजनक है. 2017 तक, अमेरिका में गोलीबारी के कारण 15 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा 1775 में अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मारे गए लोगों की संख्या के बाद सबसे अधिक है. अकेले 2020 में, 45,000 से अधिक लोगों की मौत गोलीबारी के कारण हुई है.

नियंत्रण क्यों नहीं हो रहा?

अमेरिका में बंदूकों पर नियंत्रण की कमी के पीछे मुख्य कारण राजनीति है. अमेरिका में एक बड़ा लॉबी ग्रुप है जो बंदूकधारी अधिकारों का समर्थन करता है. एक बड़ी संख्या में लोग इसे अपना अधिकार मानते हैं और इसका समर्थन करते हैं. चुनावी राजनीति में यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है कि कोई भी सरकार इसे प्रतिबंधित करने के लिए ठोस कदम उठाने की हिम्मत नहीं करती.

नेशनल राइफल असोसिएशन (NRA) भी एक बड़ा लॉबी ग्रुप है जो बंदूकधारी अधिकारों के समर्थन में सक्रिय है. इस संघ के पास इतनी वित्तीय ताकत है कि यह अमेरिका के चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है.

हिंसक वीडियो गेम्स पर सवाल

अमेरिका में कई लोग मानते हैं कि हिंसक वीडियो गेम्स भी गोलीबारी की घटनाओं के कारण हैं. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी एक बार इस पर बयान दिया था कि अगर गोलीबारी को रोकना है तो हिंसा को बढ़ावा देने वाले वीडियो गेम्स पर प्रतिबंध लगाना होगा.

कुछ अपराधियों ने भी स्वीकार किया है कि वे हिंसक वीडियो गेम्स के आदी थे और 15 घंटे तक खेलते थे. उदाहरण के लिए, 2012 में एक स्कूल पर हमला करने वाले आरोपी ने भी वीडियो गेम्स के प्रति अपनी लत का उल्लेख किया था. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि हिंसक वीडियो गेम्स गोलीबारी की घटनाओं का मुख्य कारण नहीं हो सकते.