US Take Action Against Google: गुगल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करेगा अमेरिका? बेचने पड़ सकते हैं Chrome, Android OS और Google Pay
सर्च इंजन गूगल (Google) के खिलाफ अमेरिका बड़ी कार्रवाई कर सकता है. India TV News की रिपोर्ट अनुसार, यूएस गूगल को अपनी कुछ सेवाओं जैसे क्रोम ब्राउज़र (Chrome) और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम (Android OS) को बेचने के लिए मजबूर कर सकता है.
US Take Action Against Google: सर्च इंजन गूगल (Google) के खिलाफ अमेरिका बड़ी कार्रवाई कर सकता है. India TV News की रिपोर्ट अनुसार, यूएस गूगल को अपनी कुछ सेवाओं जैसे क्रोम ब्राउज़र (Chrome) और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम (Android OS) को बेचने के लिए मजबूर कर सकता है. अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च में अवैध एकाधिकार (illegal monopoly) बनाया है और उसे बनाए रखने के लिए इन सेवाओं का गलत इस्तेमाल किया है. गूगल वर्तमान में अमेरिका में 90% इंटरनेट सर्च को प्रोसेस करता है, जिससे उसकी पकड़ काफी मजबूत है.
न्याय विभाग का कहना है कि अगर इन सेवाओं को अलग कर दिया जाए, तो इससे न केवल इंटरनेट पर सर्च इंजन का बाजार संतुलित होगा, बल्कि अन्य कंपनियों को भी विकास के नए मौके मिलेंगे.
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न्याय विभाग के मुताबिक, गूगल की पावर को सीमित करने के लिए जरूरी है कि उसका कंट्रोल खत्म किया जाए, ताकि भविष्य में वह किसी भी तरह से सर्च इंजन का बाजार न संभाल सके. इसके अलावा, गूगल को सर्च इंजन को नए डिवाइसों पर पहले से इंस्टॉल करने या डिफॉल्ट सेट करने के लिए कंपनियों को भुगतान करने से भी रोका जा सकता है. गूगल ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह उपाय "बहुत ही कट्टरपंथी" हैं और इसके कारण इंटरनेट पर जानकारी खोजने के तरीके में बड़ा बदलाव आएगा. गूगल का दावा है कि उसके सर्च इंजन की सफलता की वजह उसकी गुणवत्ता है. वह अमेज़न व अन्य वेबसाइटों से कड़ी टक्कर का सामना करता है.
गूगल पर अन्य क्षेत्रों में भी दबाव बढ़ रहा है. एक अन्य फैसले में अमेरिकी अदालत ने आदेश दिया कि गूगल को अपने ऐप स्टोर, Google Play Store, में और अधिक प्रतिस्पर्धा की अनुमति देनी होगी. न्याय विभाग ने यह भी संकेत दिया है कि वे गूगल के वेब विज्ञापन व्यवसाय को भी तोड़ने का विचार कर रहे हैं.
यह कदम अमेरिका की बड़ी तकनीकी कंपनियों के खिलाफ एक व्यापक कानूनी कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें मेटा (Meta), ऐमज़ॉन (Amazon) और एप्पल (Apple) पर भी एकाधिकार बनाए रखने के आरोप लगे हैं.