शुक्र पर कभी समुद्र नहीं हो सकता है, वहां जीवन का होना असंभव: अध्ययन
ग्रह/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

लंदन, 17 अक्टूबर: पिछले अध्ययनों ने सुझाव दिया गया था कि शुक्र (Venus) के अपने तरल जल महासागर हो सकते हैं, लेकिन एक नए अध्ययन ने सुझाव दिया कि ऐसा संभव नहीं हो सकता है. जिनेवा विश्वविद्यालय (यूएनआईजीई) और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (एनसीसीआर) प्लैनेट्स, स्विटजरलैंड के नेतृत्व में खगोल भौतिकीविदों की एक टीम ने जांच की है कि क्या हमारे ग्रह के जुड़वां में वास्तव में मामूली अवधि है? यह भी पढ़े: साल 2500 तक धरती में आएंगे ये खतरनाक बदलाव, भारत हो जाएगा बेहद गर्म: स्टडी

वातावरण के परिष्कृत त्रि-आयामी मॉडल का उपयोग करते हुए, उन वैज्ञानिकों के समान, जो पृथ्वी की वर्तमान जलवायु और भविष्य के विकास का अनुकरण करने के लिए उपयोग करते हैं, टीम ने अध्ययन किया कि समय के साथ दो ग्रहों के वायुमंडल कैसे विकसित होंगे और क्या इस प्रक्रिया में महासागर बन सकते हैं. यूएनआईजीई में विज्ञान संकाय के खगोल विज्ञान विभाग के खगोल भौतिकीविदों और शोधकर्ता मार्टिन टर्बेट ने कहा कि हमारे सिमुलेशन के लिए धन्यवाद, हम यह दिखाने में सक्षम है, कि जलवायु परिस्थितियों ने शुक्र के वातावरण में जल वाष्प को संघनित नहीं होने दिया है.

इसका मतलब यह है कि तापमान कभी भी इतना कम नहीं हुआ कि इसके वातावरण में पानी बारिश की बूंदों का निर्माण कर सके जो इसकी सतह पर गिर सकती हैं. इसके बजाय, पानी वायुमंडल में एक गैस के रूप में बना रहेगा, जिससे महासागर कभी नहीं बनेगें. टर्बेट ने कहा कि इसके मुख्य कारणों में से एक बादल है जो ग्रह के रात की ओर अधिमानत: बनते हैं. ये बादल एक बहुत शक्तिशाली ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनते हैं जो शुक्र को पहले की तरह जल्दी ठंडा होने से रोकते हैं. परिणाम नेचर जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

इसके अलावा, खगोल भौतिकीविदों के सिमुलेशन ने यह भी खुलासा किया कि पृथ्वी आसानी से शुक्र के समान चुनौति का सामना कर सकती थी. यदि पृथ्वी सूर्य के थोड़ा ही निकट होती, या सूर्य पहले की तरह चमकीला होता जितना आजकल है, तो हमारा गृह ग्रह आज बहुत अलग दिखाई देता. यह संभवत: युवा सूर्य का अपेक्षाकृत कमजोर विकिरण है जिसने पृथ्वी को इतना ठंडा होने दिया कि वह हमारे महासागरों को बनाने वाले पानी को संघनित कर सके.

इसे हमेशा से ही पृथ्वी पर जीवन के प्रकट होने में एक बड़ी बाधा माना गया है. तर्क यह था कि यदि सूर्य का विकिरण आज की तुलना में बहुत कमजोर होता, तो यह पृथ्वी को जीवन के लिए शत्रुतापूर्ण बर्फ की गेंद में बदल देता. शोधकतार्ओं ने कहा कि लेकिन यह पता चला है कि बहुत गर्म पृथ्वी के लिए, यह कमजोर सूर्य वास्तव में एक अप्रत्याशित अवसर हो सकता है.