कई महीनों बाद वॉयजर से आया संदेश
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

इंसान की बनाई अब तक की सबसे दूर गई चीज का नाम है वॉयजर. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इस अंतरिक्ष यान से महीनों बाद कोई संदेश मिला है.वॉयजर का भेजा संदेश मिल गया है और नासा की चिंता खत्म हो गई है. 14 नवंबर 2023 के बाद वॉयजर ने स्पष्ट संदेश भेजना बंद कर दिया था. इंसान का बनाया यह अब तक का सबसे दूर गया यान है जो ब्रह्मांड में 25 अरब किलोमीटर दूर कहीं विचर रहा है.

सोमवार को नासा ने बताया कि महीनों बाद वॉयजर से संदेश मिला है. नवंबर के बाद से उसने धरती पर कोई पढ़ा जा सकने लायक डेटा नहीं भेजा था. हालांकि वह पृथ्वी से भेजी गईं कमांड रिसीव कर रहा था.

मार्च में नासा की जेट प्रोपल्सन लैबोरेट्री में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया कि वॉयजर की इस चुप्पी के लिए एक चिप में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी. इन विशेषज्ञों ने नासा के 46 साल पुराने कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद इस चिप को चतुराई भरे एक नए कोड से ठीक किया.

25 अरब किलोमीटर दूर

सोमवार को एजेंसी ने कहा, "वॉयजर-1 यान अपने इंजीनियरिंग सिस्टम्स की स्थिति के बारे में पढ़े जा सकने लायक संदेश भेजने की ओर लौट रहा है. अगला कदम यान से वैज्ञानिक डेटा भेजने लायक बनाना होगा. ”

वॉयजर-1 को 1977 में लॉन्च किया गया था. 2012 में उसने इंटरस्टेलर मीडियम यानी सौरमंडल से बाहर सितारों की श्रृंखला में प्रवेश किया था. ऐसा करने वाला वॉयजर पहला अंतरिक्ष यान था. अब वह धरती से लगभग 25 अरब किलोमीटर दूर पहुंच चुका है. धरती से भेजे जाने वाले संदेश उस तक पहुंचने में लगभग 22.5 घंटे लगते हैं.

2018 में वॉयजर-2 नाम का उसका जुड़वां यान भी प्रक्षेपित किया गया था. ये दोनों यान अंतरिक्ष में संभावित परग्रही जीवों के लिए पृथ्वी से इंसान का संदेश लेकर गए हैं. इन संदेशों को ‘गोल्डन रिकॉर्ड' कहा जाता है. ये 12 इंच की सोने का पानी चढ़ीं तांबी की डिस्क हैं जिनमें इंसान की कहानी को परग्रहियों के लिए रिकॉर्ड किया गया है.

क्या है संदेश?

गोल्डन रिकॉर्ड के साथ हमारे सौरमंडल का नक्शा भी है. साथ ही यूरेनियम का एक टुकड़ा भी है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यूरेनियम की आयु से परग्रही पता लगा सकेंगे कि यान को कब छोड़ा गया था. साथ ही रिकॉर्ड को प्ले करने के लिए दिशानिर्देश भी हैं.

परग्रहियों के लिए क्या भेजा जाए, इसका फैसला नासा की एक विशेष कमेटी ने किया था. उस कमेटी के अध्यक्ष प्रतिष्ठित खगोलविद कार्ल सेगन थे. जो संदेश भेजे गए हैं, उनके साथ धरती पर जीवन की तस्वीरें, संगत, आवाजें आदि शामिल हैं.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वॉयजर-1 की बैट्री 2025 के बाद कभी भी खत्म हो सकती है. उसके बाद भी वे आकाश गंगा मिल्की वे में विचरते रहेंगे लेकिन कहां, यह हम कभी नहीं जान पाएंगे. हां, अगर किसी परग्रही ने उन्हें खोज लिया तो हो सकता है वॉयजर इंसान के लिए भविष्य का संदेशवाहक बन जाए.

वीके/एए (एएफपी)