प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के दिमाग में होते हैं बड़े बदलाव

अपने ऊपर अध्ययन के जरिए एक वैज्ञानिक ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के मस्तिष्क में क्या-क्या बदलाव होते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अपने ऊपर अध्ययन के जरिए एक वैज्ञानिक ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के मस्तिष्क में क्या-क्या बदलाव होते हैं.न्यूरोसाइंटिस्ट लिज क्रेस्टिल जब प्रेग्नेंट हुईं तो उनके लिए यह एक शोध का भी अनोखा मौका था. वह जानना चाहती थीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के मस्तिष्क में क्या बदलाव होता है. उन्होंने इस पर अध्ययन किया और उसमें जो सीखा, उसे साझा किया. यह अध्ययन महिलाओं के दिमाग में गर्भावस्था के दौरान होने वाले बदलावों का पहला विस्तृत नक्शा पेश करता है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि मातृत्व की ओर बढ़ने का यह समय मस्तिष्क के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करता है. हालांकि यह अध्ययन सिर्फ एक महिला पर आधारित है, लेकिन यह एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजना की शुरुआत है, जिसका लक्ष्य सैकड़ों महिलाओं के दिमाग का स्कैन करना है. इस शोध से भविष्य में पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसी बीमारियों के बारे में सुराग मिल सकते हैं.

क्रेस्टिल बताती हैं, "यह एक बहुत लंबी यात्रा रही है. हमने गर्भावस्था से पहले, दौरान और बाद में कुल 26 स्कैन किए और कुछ वाकई अद्भुत बातें जानीं.” क्रेस्टिल और उनके साथियों का एक शोध पत्र नेचर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है.

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अध्ययन में मस्तिष्क के 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सों में ग्रे मैटर की मात्रा में कमी देखी गई. ग्रे मैटर वह हिस्सा है जो सोचने की प्रक्रिया से जुड़ा होता है. औसत से यह लगभग 4 फीसदी कमी था, जो लगभग युवावस्था में होने वाली कमी के समान है. हालांकि ग्रे मैटर की कमी की बात बुरी लग सकती है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह बुरा नहीं है. उनके मुताबिक यह शायद "न्यूरल सर्किट्स" नामक से जुड़े हुए नर्व सेल्स के नेटवर्क के आपस में जुड़ने को दिखाता है, जिससे मस्तिष्क जीवन के नए चरण के लिए तैयार होता है.

कई नए सबक

शोधकर्ताओं ने क्रेस्टिल पर अध्ययन तब शुरू किया, जब वह अमेरिका के इरविन स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में काम कर रही थीं. उस समय उनकी उम्र 38 साल थी. वह इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के जरिए गर्भवती हुईं. गर्भावस्था के दौरान और उनके बच्चे के जन्म के दो साल बाद तक, शोधकर्ताओं ने उनके दिमाग के एमआरआई स्कैन किए और खून के नमूने लिए, ताकि यह देखा जा सके कि जैसे-जैसे एस्ट्रोजन जैसे सेक्स हार्मोन का उतार-चढ़ाव हुआ, उनके दिमाग में क्या बदलाव आए. कुछ बदलाव गर्भावस्था के बाद भी जारी रहे.

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वालीं, शोध की सह-लेखिका एमिली जैकब्स बताती हैं, "पहले के अध्ययनों में गर्भावस्था से पहले और बाद में दिमाग की झलकियां ली गई थीं, लेकिन हमने इस बड़े बदलाव के बीच में दिमाग को कभी नहीं देखा."

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पिछले अध्ययनों के उलट, इस अध्ययन में दिमाग के आंतरिक हिस्सों और साथ ही दिमाग की सबसे बाहरी परत, सेरेब्रल कॉर्टेक्स पर ध्यान केंद्रित किया गया. मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस और साइकोलॉजी के प्रोफेसर जोसेफ लॉन्स्टीन, जो इस शोध में शामिल नहीं थे, कहते हैं कि यह गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में दिमाग में होने वाले व्यापक बदलावों को समझने की दिशा में एक अच्छा पहला कदम है.

भविष्य के लिए अहम

जानवरों पर किए गए शोधों में पाया गया है कि कुछ दिमागी बदलाव शिशु की देखभाल में सहायक हो सकते हैं. हालांकि, यह नया अध्ययन यह नहीं बताता कि इन बदलावों का मानव व्यवहार पर क्या असर होता है, लेकिन लॉन्स्टीन ने बताया कि यह अध्ययन उन दिमागी क्षेत्रों में बदलाव दिखाता है जो सामाजिक संज्ञान से जुड़े होते हैं, जैसे लोग एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं और उनके विचारों और भावनाओं को कैसे समझते हैं.

शोधकर्ताओं के पास स्पेन में भी साझीदार हैं और वे एक बड़े मैटरनल ब्रेन प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं. इस प्रोजेक्ट को एन एस बाउर्स वुमन ब्रेन हेल्थ इनिशिएटिव और चान-जुकरबर्ग इनिशिएटिव से मदद मिल रही है.

इस प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बड़ी संख्या में महिलाओं से मिले डेटा का उपयोग पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसी बीमारियों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकेगा.

जैकब्स कहती हैं, "प्रेग्नेंसी की न्यूरोबायोलॉजी के बारे में हम अभी बहुत कुछ नहीं जानते हैं और यह इसलिए नहीं है कि महिलाएं बहुत जटिल हैं. यह इसलिए भी नहीं है कि प्रेग्नेंसी किसी गूढ़ पहेली की तरह है. ऐसा इसलिए है कि चिकित्सा विज्ञान ने ऐतिहासिक रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य की उपेक्षा की है."

वीके/एए (एपी)

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