Chandrayaan 2: ‘विक्रम’ लैंडर से संपर्क साधने की ISRO की आखिरी उम्मीद कल हो सकती है खत्म
देश के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क स्थापित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पास अब दो दिन का समय बचा है. दरअसल, लैंडर ‘विक्रम’ के भीतर बंद रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है. सात सितंबर की घटना के बाद अब इसरो के पास केवल शुक्रवार तक का समय बचा है.
देश के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-2’ (Chandrayaan 2) के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क स्थापित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पास अब दो दिन का समय बचा है. दरअसल, लैंडर ‘विक्रम’ (Vikram Lander) के भीतर बंद रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है. सात सितंबर की घटना के बाद अब इसरो के पास केवल शुक्रवार तक का समय बचा है. इससे पहले इसरो ने कहा था कि वह 14 दिन तक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करता रहेगा. इसरो के एक अधिकारी ने बताया था कि चंद्रमा के विक्रम के साथ संचार लिंक फिर से स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. यह प्रयास 20-21 सितंबर तक किए जाएंगे, जब सूरज की रोशनी उस क्षेत्र में होगी, जहां विक्रम उतरा है.
दरअसल, सात सितंबर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया के दौरान अंतिम क्षणों में ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. यदि यह ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहता तो इसके भीतर से रोवर बाहर निकलता और चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देता. लैंडर को चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए डिजाइन किया गया था. उधर, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने भी लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क साधने की कोशिश की और लूनर रिकॉस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) ने लक्षित लैंडिंग साइट के आसपास की तस्वीरें खींची हैं लेकिन लैंडर के सही स्थान का का पता नहीं चल पाया है. यह भी पढ़ें- पूर्व इसरो प्रमुख किरण कुमार बोले, ‘चंद्रयान-2’ का ऑर्बिटर ‘बेहतर परिणाम’ हासिल करने में सक्षम.
बहरहाल, चंद्रयान 2’ के लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बाद देश और विदेश में भारतीयों से मिले समर्थन पर इसरो ने मंगलवार को सभी देशवासियों का शुक्रिया अदा किया था. इसरो ने ट्वीट कर लिखा था ‘हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया. हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे.’ इसरो ने कहा था, ‘आसमान छूने के लिए हमें प्रेरित करने का शुक्रिया.'