चंद्रमा मिशन पर भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर 15 जुलाई को जाएगा
भारत का अब तक का सबसे शक्ति शाली लॉन्चर रॉकेट -जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को अपने चंद्रमा मिशन पर ले जाएगा. यह उपग्रहों के चार-टन वर्ग को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है. लैंडर - विक्रम अंतत: 6 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.
नई दिल्ली : भारत का अब तक का सबसे शक्ति शाली लॉन्चर रॉकेट -जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को अपने चंद्रमा मिशन पर ले जाएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, यह उपग्रहों के चार-टन वर्ग को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है.
जीएसएलवी एमके-3 का उपनाम 'बाहुबली' है, जिसे 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3.8 टन चंद्रयान-2 के साथ लॉन्च किया जाएगा. अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को कक्षा में रखेगा.
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जहां इसरो के अधिकारी 640 टन वाले जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को 'मोटा लड़का' कहते हैं, वहीं तेलुगु मीडिया ने इसे 'बाहुबली' का नाम दिया है, जो उस सफल फिल्म के नायक का नाम है, जिसने एक भारी लिंगम को उठाया था. इसरो के अनुसार, चंद्रयान -2 को पृथ्वी की 170 गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
इसे एक पृथ्वी पार्किं ग में 170 गुणा 40400 किलोमीटर कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा. युक्तिचालन की एक श्रृंखला में चंद्रयान -2 को अपनी कक्षा में ऊपर उठाने और चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र पर रखा जाएगा.
चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करने पर, ऑन-बोर्ड थ्रस्टर्स लूनार कैप्चर के लिए अंतरिक्ष यान को धीमा कर देगा. चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान -2 की कक्षा को कक्षीय युक्तिचालन की एक श्रृंखला के माध्यम से 100 गुणा 100 किलोमीटर की कक्षा में प्रसारित किया जाएगा. लैंडर - विक्रम अंतत: 6 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.