मुंबई: वैसे तो हमारे जीवन में कई ऐसे लोग होते है जो हमें जीवन से अवगत करवाते है लेकिन इनमें से गुरु एक मात्र ऐसा होता है जो ना केवल ज्ञान देता है बल्कि हमारे शिखर पर पहुचने का मार्ग तैयार करवाता है. इसलिए गुरु का स्थान माता-पिता के बाद सर्वोपरि होता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योकि दुनिया को क्रिकेट का भगवान देने वाले गुरु ने अब इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के बचपन के गुरु रमाकांत आचेरकर (Ramakant Achrekar) का बुधवार शाम को निधन हो गया.
दुनिया से जा चुके अपने गुरु को याद करते हुए सचिन तेंदुलकर ने दिल को छू लेने वाली बात कही. दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, "आचरेकर सर की उपस्थिति से स्वर्ग में भी क्रिकेट समृद्ध होगा. अन्य छात्रों की तरह मैंने भी क्रिकेट की एबीसीडी सर के मार्गदर्शन में ही सीखी. मेरे जीवन में उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उन्होंने वह नींव रखी, जिस पर मैं खड़ा हूं."
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सचिन ने कहा, "मैं पिछले महीने सर एवं उनके कुछ छात्रों से मिला और उनके साथ समय बिताया. हमने पुरानी यादें साझा की और बहुत खुश हुए. मुझे आचरेकर सर ने सीधे बल्ले से खेलना और सादा जीवन जीना सिखाया. हमें अपने जीवन से जोड़ने और खेल के गुर सिखाने के लिए धन्यवाद."
Sachin Tendulkar: Cricket in heaven will be enriched with the presence of Achrekar sir. Like many of his students, I learnt my ABCD of cricket under Sir’s guidance. His contribution to my life cannot be captured in words. He built the foundation that I stand on. https://t.co/hti7tUl5Qp
— ANI (@ANI) January 2, 2019
उन्होंने अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को भावभीनी श्रृद्धांजलि देते हुए आगे लिखा,‘‘ वेल प्लेड सर. आप जहां भी हैं, वहां और सिखाते रहें.’’ बता दें कि सचिन पिछले साल गुरु पूर्णिमा के दिन आचरेकर से मिलने उनके घर गए थे जहां उन्होंने उनसे आशीर्वाद ली थी. हालांकि सचिन अक्सर अपने गुरु से मिलने के लिए उनके घर जाया करते थे.
स्कूटर पर बिठाकर सचिन को ले जाते थे स्टेडियम-
आधुनिक क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज तेंदुलकर को आचरेकर सर मुंबई के शिवाजी पार्क में कोचिंग देते थे. आचरेकर ने खुद एक ही प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन तेंदुलकर के कैरियर को संवारने में उनका बड़ा योगदान रहा. वह अपने स्कूटर से उसे स्टेडियम लेकर जाते थे.
आचेरकर ने आज शाम 6 बजकर 30 मिनट पर अपने घर पर अंतिम सांस ली. 87 साल के रमाकांत आचेरकर लंबे समय से बीमार चल रहे थे. आचेरकर सचिन तेंदुलकर के अलावा विनोद कांबली, समीर दीघे, प्रवीण आमरे, चंद्रकांत पंडित और बलविंदर सिंह संधू के भी गुरु थे. मुंबई स्थित शिवाजी पार्क मैदान पर उन्होंने सैकड़ों युवाओं को क्रिकेट का ककहरा सिखाया था. क्रिकेट में योगदान के लिए पद्मश्री और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.