पहले दो विश्व कप-1975, 1979 में खिताबी जीत और 1983 के फाइनल तक का सफर। यह वो दौर था, जब वेस्टइंडीज की जीत लगभग पक्की होती थी। लेकिन वो दौर खत्म हो गया है और 1983 में फाइनल में भारत के हाथों मात खाने के बाद से इस टीम ने कभी भी विश्व कप फाइनल में कदम नहीं रखा है. 30 मई से इंग्लैंड एंड वेल्स में शुरू हो रहे वनडे विश्व कप के 12वें संस्करण में भी विंडीज को कोई भी क्रिकेट पंडिंत जीत की प्रबल दावेदार तो नहीं मान रहा लेकिन कोई भी इस टीम को नजरअंदाज भी नहीं कर सकता. इसी टीम ने 2012 में और 2016 में सभी को हैरान करते हुए दो बार टी-20 विश्व कप जीते. इस विश्व कप में भी विंडीज में इस बात का दम तो है ही कि वह कुछ भी कर सकती है.
बीते कुछ वर्षो से विंडीज की टीम इसी तरह की रही है जो कभी भी, कहीं भी, किसी भी टीम को हैरान कर जीत हासिल कर सकती है. अपने घर में इस टीम ने टेस्ट में इंग्लैंड को मात दी थी और यहां से इस टीम में बदलाव देखने को मिला है. लेकिन हाल ही में आयरलैंड और बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई त्रिकोणिय सीरीज में उसे हार मिली थी जो उसके लिए चिंता का सबब हो सकती है और अपने आप में झांकने का मौका भी.
इस बीच विंडीज बोर्ड में भी कई बदलाव चलते रहे. कोट स्टुअर्ट लॉ छोड़ कर गए और आनन-फानन में फ्लॉड रेइफर को टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया. अब देखना होगा कि इन सभी के बीच विंडीज विश्व कप में क्या कमाल दिखाती है. कोई भी शायद ही उम्मीद कर रहा हो कि यह टीम सेमीफाइनल तक भी जाएगी लेकिन अगर अंतिम-4 में पहुंचती भी है तो किसी को शायद ही हैरानी हो. इस बात में कोई शक नहीं कि इस टीम में प्रतिभा है. टीम के पास ऐसे बल्लेबाज, गेंदबाज और हरफनमौला खिलाड़ी हैं जो कभी भी मैच का पासा पलट सकते हैं. यह इस टीम की ताकत है.
वेस्टइंडीज के पास ऐसे बल्लेबाज हैं जो अपनी आतिशी बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम क्रिस गेल का है. गेल का नाम विपक्षी गेंदबाज को डराने के लिए ही काफी है. अगर गेल का बल्ला चलता है तो टीम बड़ा लक्ष्य हासिल भी कर सकती है और बोर्ड पर बड़ा स्कोर टांग भी सकती है. गेल का यह छठा विश्व कप है. ऐसे में उनके पास अनुभव की कमी नहीं है. उनका अनुभव टीम के भी बुहत काम आएगा. गेल की तरह के बल्लेबाज हैं हरफनमौला आंद्रे रसेल. रसेल का जलवा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में देखा जा चुका है जहां उन्होंने गेंदबाजों की जमकर धुनाई की थी. हालांकि प्रारूप अलग है. वह टी-20 था और यह वनडे है, लेकिन रसेल में वनडे में भी अच्छा करने का दम है.
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इन दोनों के अलावा वेस्टइंडीज के पास बल्लेबाजी में इविन लुइस, शाई होप और शिमरोन हेटमायेर हैं. यह तीनों विश्व क्रिकेट में अपनी आतिशी बल्लेबाजी का जलवा दिखा चुके हैं. हेटमायेर ने भारत में खेली गई वनडे और टी-20 सीरीज में अच्छा किया था लेकिन आईपीएल में चल नहीं पाए थे. उसके बाद से हालांकि उनका बल्ला निरंतर रन नहीं कर सका है. लुइस का भी यही हाल है. गेल का साथ देने के लिए इन दोनों को अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखनी पड़ेगी. होप ने त्रिकोणिय सीरीज में अच्छा प्रदर्शन किया था. वह इस सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे थे. होप ने पांच मैचों में 470 रन बनाए थे.
इन सभी के अलावा डारेन ब्रावो के रूप में ऐसा बल्लेबाज है जो इन तीनों की अपेक्षा धीमी और विकेट पर टिकने वाली बल्लेबाजी करता है. मध्यक्रम में टीम के पास एशेल नर्स, कार्लोस ब्राथवेट, रसेल, युवा फाबियान एलेन और कप्तान जेसन होल्डर हैं. गेंदबाजी में होल्डर और रसेल के अलावा केमार रोच, शेनन गैब्रिएल पर टीम का जिम्मेदारी रहेगी. गैब्रिएल ने त्रिकोणिय सीरीज में सबसे ज्यादा आठ विकेट लिए थे. युवा शेल्डन कोटरेल और ओशाने थॉमस से भी टीम को काफी उम्मीदें होंगी. स्पिन में होप और नर्स ही टीम को संभालेंगे. स्पिन वेस्टइंडीज की कमजोरा भी साबित हो सकती है, क्योंकि विश्व कप के दूसरे हाफ में विकेट स्पिनरों की मददगार होंगी और यहां अगर होप तथा नर्स फेल होते हैं तो संकट विंडीज के सामने विशाल होगा.
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टीम: जेसन होल्डर (कप्तान), क्रिस गेल, इविन लुइस, डारेन ब्रावो, शिमरोन हेटमायेर, एशले नर्स, फाबियान एलेन, आंद्रे रसेल, कार्लोस ब्राथवेट, निकोलस पूरन (विकेटकीपर), शाई होप (विकेटकीपर), केमर रोच, ओशाने थॉमस, शेनन गैब्रिएल, शेल्टन कोटरेल.