PM Modi Egypt Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून से मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर होंगे. पीएम मोदी मिस्र में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए काहिरा में हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा करेंगे. यह यात्रा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर होने वाली है.
यह वर्ष 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्त्र यात्रा होगी. इतना ही नहीं, पीएम मोदी की भी यह पहली मिस्त्र यात्रा है. इस दौरे पर वे 11वीं सदी की प्रसिद्ध अल-हाकिम मस्जिद भी जाएंगे. विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने इस बात की पुष्टि की है. PAK On Modi US Visit: मोदी-बाइडन ने ऐसा क्या कहा- जो पाकिस्तान को लगी 'मिर्ची', वहां की मीडिया में मची खलबली
मिस्र दौरे पर पीएम मोदी काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान भी जाएंगे, जहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
इस यात्रा में व्यापार, निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में भारत और मिस्र के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है. पीएम मोदी के मिस्र के व्यापारिक नेताओं से भी मुलाकात करने और दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने की उम्मीद है.
#WATCH | PM Modi will visit the Heliopolis War Cemetry in Cairo to pay tribute to the Indian soldiers who laid down their lives during the First World War in Egypt
PM will be on a two-day State visit to Egypt starting June 24. pic.twitter.com/sfltyuBHma
— ANI (@ANI) June 23, 2023
बता दें कि अल-हाकिम मस्जिद का पुर्निमाण 1980 में बोहरा मुस्लिम समुदाय ने कराया था. खास बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी का यह ऐसा छठवां विदेशी दौरा होगा जहां वे मस्जिद में जाएंगे. यहां वे धर्मगुरुओं से मुलाकात भी कर सकते हैं.
#WATCH | PM Modi to visit the historic Al-Hakim Mosque built during the Fatimid dynasty in Cairo on his two-day State visit to Egypt starting on June 24 pic.twitter.com/P4y8rXJgCd
— ANI (@ANI) June 23, 2023
अल-हाकिम मस्जिद मिस्र की राजधानी ओल्ड काइरो में स्थित है. साल 990 में फातिमी ख़लीफ़ा अल-अज़ीज़ बी-इलाह निज़ार ने इसकी नींव रखी और साल 1013 में उनके बेटे अल-हकीम के शासनकाल के दौरान पूरा किया गया था. इसे मिस्र में सबसे पुराने इस्लामी स्मारकों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि अल-हाकिम मिस्र का चौथा सबसे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मस्जिद है. इसकी मीनारों को वॉच-टावर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. इसके क़िबला आर्केड का उपयोग इस्लामिक कला के संग्रहालय के रूप में किया जाता था, जिसे हाउस ऑफ़ द अरब एंटीक्विटीज़ कहा जाता था.
(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)