HC on Physical Relationship and Rape: सहमति से बना था शारीरिक संबंध इसलिए हाईकोर्ट ने रेप केस में शख्स को किया बरी
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बलात्कार के आरोपी को इस आधार पर रिहा कर दिया कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच सहमति से शारीरिक संबंध थे.
HC on Physical Relationship and Rape: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक बलात्कार के आरोपी की आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषसिद्धि को इस आधार पर रद्द कर दिया कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच सहमति से शारीरिक संबंध थे और मुकदमे से पहले अभियोजन पक्ष द्वारा पीड़िता की उम्र निर्णायक रूप से स्थापित नहीं की गई थी.
आरोपी की सजा को रद्द करते हुए, न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने कहा "यह मानना उचित है कि अपीलकर्ता और पीड़िता के बीच जो शारीरिक संबंध विकसित हुए थे, वे सहमति से थे. पीड़िता की उम्र निर्णायक रूप से स्थापित नहीं की गई थी. हम निर्णायक रूप से यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि अपीलकर्ता ने एक नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाए.”
पीड़िता द्वारा अपीलकर्ता के खिलाफ एक लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी जिसमें दावा किया गया था कि उसके द्वारा उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया और वह गर्भवती हो गई. शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी की सजा) और धारा 376 (बलात्कार की सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
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