सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि किसी पत्रकार या रिपोर्टर के पास कानून अपने हाथ में लेने का लाइसेंस नहीं है. न्यायालय ने यह टिप्पणी एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.
पत्रकार का मामला यह था कि वह एक नवजात बच्चे की अवैध बिक्री और खरीद से जुड़े रैकेट का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहा था, हालांकि, उनके खिलाफ यह आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी कि उन्होंने खबर को दबाने के लिए अवैध रिश्वत मांगी थी.
पत्रकार ने दावा किया कि वह एक मान्यता प्राप्त संवाददाता है और उसने 26/07/2021 को दैनिक भास्कर में एक समाचार प्रकाशित किया था, जिसमें नवजात बच्चे की अवैध बिक्री से जुड़े एक रैकेट का पर्दाफाश किया गया था और जवाबी कार्रवाई के रूप में मामले में आरोपियों में से एक को गिरफ्तार किया गया था उनके और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले याचिकाकर्ता और अन्य पत्रकारों को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी. हालांकि, बुधवार को न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अब अंतरिम सुरक्षा का हकदार नहीं है. न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता अन्य मामलों में भी शामिल थे.
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