HC on Consensual Sex With Minor: नाबालिग की सहमति से यौन संबंध बना है तो इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता, हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
उच्च न्यायालय ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप में लगभग 10 साल से जेल में बंद 45 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया. अदालत ने यह भी पाया कि पीड़िता का बयान रिकॉर्ड पर उपलब्ध कराए गए सबूतों से मेल नहीं खाता.
उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को यौन उत्पीड़न मामले में बरी करते हुए कहा कि पीड़िता का यह दावा कि उसने यौन कृत्य के लिए सहमति नहीं दी थी, "आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है". उच्च न्यायालय ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप में लगभग 10 साल से जेल में बंद 45 वर्षीय व्यक्ति को बरी कर दिया. अदालत ने यह भी पाया कि पीड़िता का बयान रिकॉर्ड पर उपलब्ध कराए गए सबूतों से मेल नहीं खाता.
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एसके साहू ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि लड़की हर दिन आरोपी के साथ यौन संबंध बनाने के लिए उसके साथ जंगल में जाती थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक घटना के वक्त पीड़िता 17 साल की थी. अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता को पता था कि आरोपी शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं.
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