शादी के वादे से मुकरना हर बार 'बलात्कार' नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े फैसले में कहा है कि शादी करने के वादे से मुकर जाना हर बार बलात्कार नहीं माना जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़े फैसले में कहा है कि शादी करने के वादे से मुकर जाना हर बार बलात्कार नहीं माना जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी करने के वादे के हर उल्लंघन को झूठा वादा मानना और आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के अपराध के लिए किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाना मूर्खता होगी.

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने बलात्कार के मामले में समवर्ती रूप से दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा, कोई भी इस संभावना से इनकार नहीं कर सकता है कि आरोपी ने पूरी गंभीरता के साथ उससे शादी करने का वादा किया होगा, और बाद में उसके द्वारा अप्रत्याशित कुछ परिस्थितियों या उसके नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसने उसे अपना वादा पूरा करने से रोका.

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