मथुरा: पेशे से वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी को अपने एक दोस्त के साथ मथुरा से मुरादाबाद की तरफ जाना था. एक टिकट का दाम 35 रुपये था. स्टेशन के टिकट काउंटर पर उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी को 100 रुपये का नोट थमाते हुए 2 टिकट की मांग की. वहां मौजूद व्यक्ति ने 2 टिकट के 70 रुपये की बजाए 90 रुपये काट लिए जिसके बाद थोड़ी कहासुनी हुई. वकील ने बकाया रुपये नहीं मिलने को हक की लड़ाई बना लिया. 20 रुपये का यह मामला अगले 22 साल से अधिक समय तक कोर्ट में चला और आखिरकार वकील के पक्ष में फैसला आ गया.

अब रेलवे को एक माह में उन्हें 20 रुपये पर हर साल 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाकार पूरी रकम चुकानी होगी. इसके साथ ही आर्थिक और मानसिक पीड़ा एवं वाद व्यय के रूप में 15 हजार रुपये जुर्माने के रूप देने का निर्देश भी दिया गया है.

मथुरा के याचिकाकर्ता वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि "1999 में मैंने मथुरा छावनी से मुरादाबाद की टिकट ली थी उनकी कीमत 70 रुपए थी लेकिन क्लर्क ने 90 रुपए लिए थे. 22 साल की लम्बी लड़ाई के बाद न्यायलय का फैसला मेरे पक्ष में आया और रेलवे को मुझे 15,000 रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया है."

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