कलकत्ता हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि केवल इसलिए कि एक महिला अपनी शादी के सात साल के भीतर आत्महत्या कर लेती है, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113ए के तहत उसके पति या ससुराल वालों को दोषी ठहराने का अनुमान स्वचालित रूप से लागू नहीं होता है. धारा 113ए कहती है कि अगर किसी विवाहित महिला की शादी के सात साल के भीतर मृत्यु हो जाती है और उस दौरान उसके साथ क्रूरता हुई है तो उसके पति और ससुराल वालों को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी माना जा सकता है. न्यायमूर्ति राय चट्टोपाध्याय ने बताया कि धारा 113ए के तहत यह धारणा तभी लागू होगी जब यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत हो कि पत्नी के साथ क्रूरता की गई थी. यह भी पढ़ें: POCSO Cases Can Be Quashed: अगर पीड़ित और आरोपी समझौता कर सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं तो POCSO मामले रद्द किए जा सकते हैं
देखें पोस्ट:
Wife dying within 7 years of marriage does not always attract presumption of suicide abetment under Evidence Act: Calcutta High Court
report by @NarsiBenwal https://t.co/JIuTb1QWcm
— Bar & Bench (@barandbench) December 14, 2023
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