दिल की बीमारी से पीड़ित 56 वर्षीय एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और याचिका की है कि उसके परिवार को उसकी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने से रोका जाए. इसके बजाय दिल्ली निवासी चाहता है कि उसका शव उस व्यक्ति को सौंप दिया जाए, जिसे वह बेटे के रूप में मानता है. शख्स ने दावा करते हुए कहा कि वह व्यक्ति उसकी देखभाल तब करता था जबी वह बिस्तर पर पड़ा था.

कुंज बिहारी बंसल द्वारा दायर याचिका दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए मुर्दाघर के लिए SOP के खंड 7.1 को चुनौती देती है जिसमें कहा गया है कि शव केवल रिश्तेदारों को ही दिया जा सकता है.

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