दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता द्वारा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए बयान में यह बताए जाने के बावजूद कि आरोपी के साथ उसके संबंध सहमति से थे, आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत आरोप तय किए. इस मामले में हाईकोर्ट ने देखा कि कानून में कोई संशोधन किए जाने तक उसके हाथ बंधे हुए हैं. हालांकि यह हो सकता है कि किशोर संबंधों के मामलों को अलग स्तर पर निपटाया जाए.
अदालत दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में बलात्कार के आरोपी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 और 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोपमुक्त किया गया था.
Teenage Relationships May Be Dealt On Different Footing But Hands Are Tied Till Law Is Amended: Delhi High Court While Framing POCSO Charges @nupur_0111 #DelhiHighCourt #teenagers https://t.co/UAA3jj2JDm
— Live Law (@LiveLawIndia) March 10, 2023
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