पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को उस मामले की जांच करने का निर्देश दिया, जिसमें दोषी ने दावा किया कि वह 1999 के मामले में पहले ही 02 साल और 05 महीने से अधिक की हिरासत में रह चुका है, लेकिन पुलिस के अनुसार, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस पर लगाई गई दो साल की सजा अभी बाकी है.'

2002 में सुनील को ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया और आठ साल की कैद की सजा सुनाई. इसके बाद 2010 में उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसमें सजा को घटाकर चार साल कर दिया गया. 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सज़ा घटाकर दो साल कर दी.

पुलिस ने विभागीय जांच के दौरान कहा, "यह पाया गया कि याचिकाकर्ता 17.11.1999 से 30.7.2001 तक हिरासत अवधि के दौरान कभी भी किसी जेल में नहीं रहा." इसलिए पुलिस ने कहा, 2019 में पुनः गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. पुलिस ने कहा- "याचिकाकर्ता को कभी भी हिरासत में नहीं लिया गया. उसने 03.10.2016 को जेल अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने उसे हिरासत में नहीं लिया." मामले को आगे विचार के लिए 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया गया.

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