मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि आयुष डॉक्टर गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी और अन्य प्रसव पूर्व नैदानिक परीक्षण करने के हकदार नहीं हैं, जब तक कि वे गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) अधिनियम और नियमों के तहत ऐसा करने के लिए योग्य नहीं हैं.

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि कोई भी डॉक्टर, चाहे वह एलोपैथिक दवा या दवा की किसी अन्य धारा का अभ्यास कर रहा हो, ऐसे नैदानिक परीक्षण केवल तभी कर सकता है, जब वे केंद्रीय पीएनडीटी अधिनियम के तहत योग्य डॉक्टर हों.

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)