सबसे बड़ा चमत्कार: दुनिया का दूसरा HIV पीड़ित व्यक्ति हुआ ठीक, जानें कैसे

अब तक आप लोगों ने यही सुना होगा कि HIV यानी एड्स का कोई इलाज नहीं है. बहुत सारे वैज्ञानिकों के रिसर्च के बाद भी वो HIV संक्रमित वायरस को मारने के लिए अब तक कोई भी दवाई नही बना पाए. लेकिन ब्रिटेन के डॉक्टर्स ने HIV पीड़ित एक व्यक्ति को ठीक कर इस बीमारी पर जीत हासिल कर ली है...

प्रतीकात्मक तस्वीर, (फोटो क्रेडिट: PIXABAY)

अब तक आप लोगों ने यही सुना होगा कि  एचआईवी (HIV) (Human Immunodeficiency Virus) यानी एड्स AIDS (Acquired Immunodeficiency Syndrome)  का कोई इलाज नहीं है. काफी रिसर्च के बाद भी वैज्ञानिक एचआईवी संक्रमित वायरस को मारने के लिए अब तक कोई भी दवाई नही बना पाए. लेकिन ब्रिटेन के डॉक्टर्स ने एचआईवी पीड़ित एक व्यक्ति को ठीक कर इस बीमारी पर जीत हासिल कर ली है. यह व्यक्ति दुनिया का दूसरा व्यक्ति है जो एचआईवी से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है. मरीज को एचआईवी के वायरस से मुक्त करने के लिए डॉक्टरों ने व्यक्ति का बोर्न मैरो ट्रांसप्लांट किया है. बोर्न मैरो स्टेम सेल्स जिसने डोनेट किए हैं उसे यूनिक जेनेटिक म्यूटिलेशन (mutation) है, जो एचआईवी संक्रमण को दूर करता है. बोर्न मैरो ट्रांसप्लांट के तीन साल बाद और एंटीरेट्रोवाइरल ड्रग्स के बंद होने के 18 महीने से ज्यादा समय बाद कई जांच किए गए. जिसमें मरीज में एचआईवी के वायरस नहीं पाए गए. डॉक्टर्स का कहना है कि जांच में उन्हें कोई भी वायरस नही मिला. अपनी इस जीत से डॉक्टर्स का कहना है कि वो जल्द ही एड्स जैसी खतरनाक बीमारी को पूरी तरह से ठीक कर पाएंगे.

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डॉक्टर्स का कहना है कि साल 2007 में अमेरिका के एक व्यक्ति का जर्मनी में एड्स का इलाज किया गया था. इलाज के बाद वो भी  एचआईवी से पूरी तरह से मुक्त हो गए थे. डॉक्टर्स का कहना है कि वे आज भी एचआईवी मुक्त हैं. दुनिया में 3 करोड़ से भी ज्यादा लोग एचआईवी से पीड़ित हैं. 1980 में आई इस बीमारी से अब तक साढ़े तीन करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

डॉक्टर्स का कहना है कि इस व्यक्ति को साल 2003 में  एचआईवी होने के बाद उसे एक के बाद एक बीमारियों ने अपनी चपेट में ले लिया था. एचआईवी के वायरस जब शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देते हैं. जिसके बाद मरीज धीरे-धीरे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.  2016 में व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टर्स ने स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया. आपको बता दें जिस डोनर ने स्टेम सेल्स दिए हैं उसका जेनेटिक म्यूटिलेशन CCR5 डेल्टा 32 है, जो एचआईवी के वायरस को मारता है.

डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी को ठीक करने में काफी जोखिम उठाना पड़ा. डोनर्स को ढूंढना बहुत मुश्किल था. डॉक्टर्स के अनुसार जिन लोगों में CCR5 म्यूटिलेशन होता है वो अधिकतर उत्तरी यूरोपीय वंश के होते हैं.

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