Virginity Test Before Marriage: इस देश में शादी से पहले महिलाओं को कराना पड़ता है वर्जिनिटी टेस्ट, परिक्षण में फेल होने पर करना पड़ता है ये काम
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pxhere)

दुनिया भर के कई देशों में शादी से पहले कौमार्य परीक्षण (Virginity Test) किया जाता है. भले ही यह कानून द्वारा निषिद्ध है. कुछ समुदायों में, शादी से पहले दुल्हन की वर्जिनिटी टेस्ट करने की प्रथा है. दुनिया भर में कुछ देश और समुदाय हैं जो वर्जिनिटी टेस्ट प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन अभी तक इस प्रथा को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है. इसी के चलते लड़कियों द्वारा वर्जिनिटी टेस्ट पास करने के लिए तरह-तरह के ट्रीटमेंट लेने के मामले भी सामने आए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन ईरान (Iran) में वर्जिनिटी टेस्ट के आधार पर दहेज की राशि निर्धारित की जाती है. ईरान में रहने वाली हजारों महिलाओं और लड़कियों का शादी से पहले कौमार्य परीक्षण किया जाता है. यह भी पढ़ें: कौमार्य परीक्षण: महिला वर्जिनिटी टेस्ट पर महाराष्ट्र सरकार उठाने जा रही है सख्त कदम, बाध्य करने पर मिलेगी सजा

यह परीक्षण बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के किया जाता है. जो महिलाएं इस टेस्ट में फेल हो जाती हैं, उन्हें हाइमन रिपेयर सर्जरी (Hymen Repair Surgery) से गुजरना पड़ता है. वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होने वाली महिलाओं की हत्या के कई मामले सामने आ चुके हैं. वर्जिनिटी टेस्ट का कोई मेडिकल आधार नहीं होने के बावजूद ईरान में रहने वाले लोग लड़कियों पर इस टेस्ट को कराने का दबाव बनाते हैं. इस टेस्ट की बात करें तो ईरानी महिलाओं का कहना है कि उन्हें ये कराना बिल्कुल पसंद नहीं है. क्योंकि इसके लिए उन्हें अजीबोगरीब परीक्षा से गुजरना पड़ता है. लेकिन इरान की महिलाओं को वर्जिनिटी टेस्ट परिवार के दबाव में आकर करना पड़ता है.

ईरान के समकालीन सांस्कृतिक परिदृश्य में दुल्हन की वर्जिनिटी को निर्विवाद महत्व दिया जाता है. उनके लिए वर्जिन लड़कियां पवित्र है और जो वर्जिन नहीं है वो अपवित्र. शादी की रात वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होने वाली लड़की गंभीर परिणाम भुगतती हैं. इस संदर्भ में, विवाह पूर्व यौन संबंधों में संलग्न लड़कियों की संख्या में वृद्धि के कारण हाइमन बहाली सर्जरी (हाइमेनोप्लास्टी) की दर में हाल ही में वृद्धि हुई है.

महिला अधिकार एक्टिविस्ट समानेह सवादी ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा कि इस तरह के टेस्ट महिलाओं के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित करते हैं, जिनकी कोई चिकित्सा वैधता नहीं है. टेस्ट महिलाओं की गरिमा को भी कमजोर करती है; लेकिन फिर भी हमारे समाज में इस तरह के टेस्ट खुलेआम किए जा रहे हैं.