ठाणे: रविवार को एक अस्पताल में एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार वाले बच्चे का जन्म हुआ. नवजात शिशु बच्चे की स्किन ऐसे दिखाई दे रही थी जैसे उसपर प्लास्टिक लपेटा गया हो और ये स्किन लगातार निकलती रहती है. बच्चे को किसी तरह का इन्फेक्शन न हो इसलिए उसे एनआईसीयू में रखा गया है. डॉक्टर्स के अनुसार बच्चा विरासत में मिली ichthyosis नामक एक दुर्लभ त्वचा की बीमारी से पीड़ित है, जिसमें एक के बाद एक त्वचा की लेयर बढ़ती ही जाती है. यह तब होता है जब बच्चे के माता-पिता दोनों में से एक में इस बिमारी के जीन होते हैं. इस बच्चे का जन्म गर्भावस्था के सिर्फ 34 सप्ताह में हुआ था. दुर्लभ स्थिति के कारण बच्चे को हाइपोथर्मिक हो सकता है और इसलिए उसे गर्मी की आवश्यकता है.
छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल की डीन डॉ. संध्या खडसे ने कहा कि, "हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं कि बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी या संक्रमण न लगे. हम उसकी आंखों की देखभाल भी कर रहे हैं और मलहम भी लगा रहे हैं. त्वचा शुष्क होने के कारण झिल्ली (त्वचा) को छिलने में कुछ सप्ताह लगेंगे. किसी को भी इसे छीलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, नहीं तो बाद में आगे चलकर ऐसे व्यक्ति की त्वचा रूखी और संवेदनशील हो जाती है. बता दें कि जून 2016 में एक बच्ची का जन्म ऐसी ही स्तिथि के साथ हुआ था. उसका जन्म नागपुर में लता मंगेशकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुआ था.
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डॉ. बेडेकर अस्पताल फॉर वूमेन एंड चिल्ड्रेन के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद बेडेकर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'इस स्थिति में त्वचा में कसकर खिंचाव होने लगते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और पलकें और होठों में भी खिंचाव की वजह से दर्द होता है. त्वचा पर स्किन की कई लेयर बनने से स्किन मछली की स्किन की तरह दिखाई देती है.