World Press Freedom Day 2024: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस? जानें भारतीय पत्रकारों की चुनौतियां एवं जोखिम!
World Press Freedom Day 2024

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. इससे मीडिया के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि पत्रकारिता के काम में काफी जोखिम रहता है. दुनिया भर में आये दिन पत्रकारों पर प्राणघातक हमले होते हैं. मीडिया के महत्व और जोखिम को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाना, प्रेस स्वतंत्रता का मूल्यांकन करना, मीडिया पर हमलों से उन्हें बचाना और कर्तव्य निर्वहन के दौरान जान गंवाने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि देना है. यह लोकतंत्र को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने में प्रेस के महत्व को दर्शाता है. आइये जानते हैं विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण एवं जानकारी योग्य बातें..

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का महत्व

विश्व स्तर पर प्रेस की स्वतंत्रता को सम्मान और पुरस्कृत करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा द्वारा प्रत्येक वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इसे ‘विश्व प्रेस दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है. इस अवसर पर यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर ‘गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम’ पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है. इसके तहत पुरस्कार प्राप्तकर्ता को प्रशस्ति पत्र एवं 25 हजार अमेरिकी डॉलर प्रदान किया जाता है. यह सम्मान उस पत्रकार अथवा संस्थान को दिया जाता है, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए कुछ उल्लेखनीय कार्य किया हो. यह भी पढ़ें : International Workers’ Day 2024 Messages: श्रमिक दिवस की हार्दिक बधाई! शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और SMS

क्या है ‘गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड’?

गिलर्मो कैनो वस्तुतः एक प्रसिद्ध इतालवी पत्रकार, लेखक और समाचार संपादक थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल में मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की महत्ता को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई विवादित मुद्दों पर सच्चाई को उजागर करने के लिए बहुत साहस और जोखिम पूर्ण कार्य किया था. उन्हीं के द्वारा संचालित जिओर्नेल नुएवो (Giornale Nuovo) के माध्यम से वह न्यूज़ प्रेस के लोगों को आवाज देने के लिए एक मंच प्रदान करते थे. उनकी प्रेरणा और योगदान को सम्मानित करने हेतु उन्हें ‘गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम’ पुरस्कार प्रदान किया गया, जो मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में अपने अमूल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित है.

जोखिम और चुनौतियों से भरी है भारतीय पत्रकारिता

भारत में पत्रकारों को काम के दौरान तमाम शारीरिक खतरों और सुरक्षा-चिंताओं का सामना करना पड़ता है. संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना, भ्रष्टाचार उजागर करना, सत्तासीनों से बेखौफ सवाल-जवाब करना, उन्हें धमकी, हिंसा या उत्पीड़न के खतरे में डाल सकता है. बेखौफ पत्रकारिता करने वालों को गाहे-बगाहे धमकियां मिलती रहती है. ये धमकियां राजनीति प्रेरित एवं रेत तथा भूमाफिया की तरफ से ज्यादा मिलती है. कभी-कभी पत्रकारों पर अपनी रिपोर्टिंग को विशिष्ठ एजेंडे से जोड़ने के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ कवरेज की उनकी क्षमता प्रभावित होती है. पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने तथा जीवंत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है.