होलाष्टक के बाद भी क्यों प्रतिबंधित रहेंगे शुभ-मंगल कार्य? विवाह के लिए अब करना होगा 15 अप्रैल तक इंतजार!

होलाष्टक काल शुरु होने के साथ ही हिंदू समाज में शुभ कार्यों पर रोक लग चुकी है, और अब 17 मार्च 2022 (होलिका-दहन) तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होंगे. लेकिन ज्योतिषीय गणना की मानें तो 14 मार्च से खरमास का माह शुरु होने के कारण एक बार फिर एक माह तक के लिए शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किये जा सकेंगे.

Holashtak 2022 (Photo Credits: File Photo)

होलाष्टक काल शुरु होने के साथ ही हिंदू समाज में शुभ कार्यों पर रोक लग चुकी है, और अब 17 मार्च 2022 (होलिका-दहन) तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होंगे. लेकिन ज्योतिषीय गणना की मानें तो 14 मार्च से खरमास का माह शुरु होने के कारण एक बार फिर एक माह तक के लिए शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किये जा सकेंगे. खगोलीय गणना के अनुसार 14 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से निकल कर मीन राशि में आ जायेगा, और 13 अप्रैल तक यही स्थिति बनी रहेगी. सूर्य के मीन राशि में रहने की स्थिति को पौराणिक ग्रंथों में खरमास काल कहा गया है. इस एक माह तक विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाने का विधान है. हांलाकि इस काल में पूजा-पाठ, भजन कीर्तन एवं सत्संग इत्यादि के आयोजन जारी रहेंगे. इस माह भगवान विष्णु एवं सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है.

खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य?

पौराणिक ग्रंथों एवं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब तक बृहस्पति की राशियों में निवास करता है, घरों में शुभ एवं मांगलिक कार्य नहीं किये जाते. यह स्थिति वर्ष में दो बार बनती है. पहली स्थिति जब सूर्य धनु राशि में (15/16 दिसंबर से 14/15 जनवरी तक) रहता है, दूसरा, जब सूर्य मीन राशि (14/15 मार्च से 13/14 तक) में रहता है. इन दोनों ही स्थितियों में खरमास लगता है, खरमास के दिनों में सूर्यदेव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं. इस वजह से बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है, वहीं, गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है. लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार गुरु के कमजोर रहने से ही शादी में देरी होती है. ऐसी स्थिति में नौकरी एवं कारोबार में भी तमाम तरह की बाधाएं आती हैं, इन्हीं वजहों से खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. गौरतलब है कि विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक है, यदि दोनों में से एक भी अस्त होगा तो मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं.

खरमास में करते हैं भगवान विष्णु की पूजा

ज्योतिशास्त्र के अनुसार खरमास के दिनों में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के पश्चात उगते सूर्य को जल अर्पित करने से उम्र बढ़ती है, और सेहत अच्छी रहती है. नियमित ऐसा करने से मनोबल मजबूत और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है. आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार वसंत ऋतु में उदय होते सूर्य की रोशनी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार खरमास काल में गृह शांति के लिए भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए. मान्यता है कि फाल्गुन माह होने के कारण भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करने से सारे संकटों एवं पापों से मुक्ति मिलती है,

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