Ganeshotsav 2019: पूरे देश में गणेशोत्सव को लेकर चारों ओर हर्ष और उल्लास है, घरों और पंडालों में मन को मोह लेने वाली मूर्तियां स्थापित की गई हैं. गणेशोत्सव के दौरान आप जब बाप्पा के दर्शन करने जाते हैं तब आपकी नजर श्रृंगार सजावट और उनकी मोहनी सूरत से हटती ही नहीं है. इस दौरान आपका ध्यान बाप्पा के दांतों पर भी गया होगा. आपने देखा होगा कि उनके एक दांत टूटे हुए दिखाई देते हैं. इसलिए उन्हें एक दंत कहा जाता है. बाप्पा के दांत टूटने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार शिव और पार्वती दोनों विश्राम कर रहे थे और गणेश जी कैलाश पर्वत के बाहर पहरा दे रहे थे. इस दौरान परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए आए, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया. परशुराम ने उनसे बहुत विनती की, लेकिन वे थे भी बहुत हठी, गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी. इस बात पर दोनों में बहस हो गई. परशुराम ने गणेश जी को लड़ाई का न्योता दिया और इस लड़ाई के दौरान परशुराम ने अपने फरसे से उन पर वार कर दिया जिसकी वजह से उनके एक दांत टूट गए और वो एक दंत कहलाए.
भगवान श्री कृष्ण की तरह गणेश जी भी बहुत शरारती थे, वो ऋषियों और देवताओं को बहुत परेशान करते थे. यहां तक की वो अपने बड़े भाई कार्तिकेय को भी बहुत परेशान थे. गणेश जी के दांत से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार जिस प्रकार गणेश का स्वभाव चंचल था, कार्तिकेय का स्वभाव उसके बिलकुल विपरित था. गणेश जी हमेशा कार्तिकेय को परेशान करते रहते थे. कार्तिकेय हमेशा गणेश की बदमाशियों को बर्दास्त करते थे, लेकिन एक दिन परेशान होकर उन्होंने गणेश जी को सबक सिखाने की कसम खाई और उनकी पिटाई कर दी, जिसकी वजह से उनका एक दांत टूट गया. दांत टूटने के बाद कार्तिकेय ने उन्हें शाप दिया कि वो अपना एक दांत हमेशा हाथ में लेकर घूमेंगे. जिसके बाद से गणेश जी अपने हाथ में आप टूटा हुआ दांत धारण करने लगे. आपने गणेश चतुर्थी के दौरान मूर्तियों में उन्हें हाथ में एक दांत लिए हुए देखा होगा.
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क्योंकि गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, इसलिए कार्तिकेय द्वारा मिले शाप को उन्होंने सकारात्मक रूप में लिया और अपने टूटे हुए दांत का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए किया. उन्होंने गजमुखासुर दैत्य की हत्या के लिए अपने दांत का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया. वहीं उन्होंने अपने टूटे हुए दांत को कलम बना ली थी और उससे रामायण लिखी.