हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन को दूर करने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली सिल्डेनाफिल से आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है. रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि वियाग्रा का ज्यादा इस्तेमाल करने से आंखों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. वियाग्रा का ज्यादा डोज लेने वाले लोग रंगों की पहचान भूल सकते हैं.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज करने के लिए 1998 से वियाग्रा की बिक्री शुरू हुई थी. जल्द ही यह इतिहास की सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाइओं में से एक बन गई थी.
टर्की के एक अस्पताल के डॉक्टर कुनेयत कारास्लान ने बताया कि उन्होंने अस्पताल में आए 17 पुरुषों पर अध्ययन किया. नए स्टडी में कारास्लान ने बताया कि उन मरीजों की आखों में कई तरह की दिक्कतें थीं. किसी को दिखाई कम दे रहा था तो किसी को रंगों की पहचान नहीं थी. किसी को लाइट से बहुत दिक्कत हो रही थी. उन्हें धुंधला दिख रहा था और साथ ही वो हरे और लाल रंग की पहचान भी नहीं कर पा रहे थे.
सभी 17 मरीजों ने वियाग्रा पहली बार लिया था और सबने हाई डोज 100mg लिया था. किसी को भी डॉक्टर ने दवा का सुझाव नहीं दिया था. दवा लेने के बाद उनकी आंखों में समस्या शुरू हुई और जब वो 24-48 घंटे के बाद अस्पताल आए, तब भी साइड इफेक्ट मौजूद था.
डॉक्टर ने कहा- बहुत पुरुष इरेक्टाइल डिसफंक्शन से बचने के लिए बिना डॉक्टर से पूछे दवा खाते हैं. ज्यादातर पुरुषों में हल्का साइड इफेक्ट होता है और जल्दी खत्म भी हो जाता है, लेकिन मैं यह बताना चाहता था कि इससे आंखों को लंबे समय तक नुकसान पहुंच सकता है.
वियाग्रा का कम डोज खाने से साइड इफेक्ट भी कम होता है, लेकिन इन मरीजों ने शुरुआत में ही हाई डोज ले लिया था.
इस दवा का इस्तेमाल पहले हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के इलाज के लिए होता था. हालांकि बाद में सैक्सुअल प्लेजर बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल होने लगा.