Vastu Tips: मंदिर हो या ड्राइंग रूम! इन धातु की मूर्तियों से पड़ता है फर्क! जानें क्या है वास्तु शास्त्र का तर्क!

सनातन धर्म में लगभग सभी घरों में देवी- देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है. ये पूजा घरों, मंदिरों अथवा दोनों जगहों पर होती है. कुछ लोग घर की साज-सज्जा के लिए मूर्तियों का भी इस्तेमाल करते हैं.

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  सनातन धर्म में लगभग सभी घरों में देवी- देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है. ये पूजा घरों, मंदिरों अथवा दोनों जगहों पर होती है. कुछ लोग घर की साज-सज्जा के लिए मूर्तियों का भी इस्तेमाल करते हैं. पूजा हो या गृह-सज्जा, अगर धातु की मूर्तियां रखते समय वास्तु का ध्यान रखा जाये तो ना इससे घर की खूबसूरती निखरने के साथ-साथ बहुत ही लाभकारी एवं मंगलकारी भी होती है. यहां हम कुछ ऐसी ही विशिष्ठ धातु की मूर्तियों के बारे में बात करेंगे, जो वास्तु के अनुसार विशेष लाभ देती हैं. सर्वप्रथम हम बात करेंगे पूजा स्थल पर स्थापित किस देवी अथवा देवता की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए और वास्तु के अनुसार इससे क्या लाभ प्राप्त होता है..

किस धातु की मूर्तियां रखनी चाहिए मंदिर में?

  मान्यता है कि पूजा स्थल पर मूर्तियों के लिए वास्तु नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, ताकि जातक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्तहो.क्योंकि लोग पूजा स्थलों पर ध्यान केंद्रित करके दिनभर की गतिविधियां निर्धारित करते हैं और अपने इष्ट देव की पूज अनुष्ठान आदि करते हैं. अगर आप भी मंदिर में स्थापित देवी-देवता की प्रतिमाओं की पूजा करते हैं तो आपको भी वास्तु के अनुरूप ही कुछ विशेष धातुओं की मूर्तियां रखनी और उनकी पूजा करनीचाहिए, क्यों कुछ धातु ऐसे भी होते हैं, जिनकी मूर्तियां ना मंदिर में स्थापित करना चाहिए और ना ही उसकी पूजा करनी चाहिए.

सोने-चांदी की प्रतिमाएं!

मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं की बात करें तो उन्हीं धातु की मूर्तियां स्थापित करनी चाहिए, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती हैं, और ये धातु होते हैं सोना एवं चांद. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि घर में इन प्रतिमाओं की नियमित पूजा होती है तो इनसे उत्पन्न ऊर्जा का प्रसार पूरे घर में होता है. यही ऊर्जा घर में रहने वाले प्राणियों को भी प्रभावित करती है. वास्तु के अनुसार स्वर्ण यानी सोना बृहस्पति का और चांदी (रजत) चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए पूजा स्थल पर सोने और चांदी की मूर्तियां सबसे शुभ एवं मंगलकारी मानी जाती हैं, और नियमित इनकी पूजा का विशिष्ठ लाभ प्राप्त होता है.

तांबे एवं पीतल की प्रतिमाएं!

  हर घरों के मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा की जाती है. आम आम आदमी सोने-चांदी की मूर्तियां स्थापित करने का सामर्थ्य नहीं रखता. सोने चांदी के बाद शुद्ध धातु तांबा माना गया है. वास्तु मान्यताओं के अनुसार तांबे की प्रतिमाओं की पूजा करने से स्वर्ण-रजत मूर्ति की पूजा के समान पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए अगर आप स्वर्ण या रजत की मूर्तियां नहीं रख सकते तो आप तांबे की मूर्तियों की पूजा भी कर सकते हैं. तांबे के अलावा पीतल की मूर्तियों की पूजा करने से भी आपको विशिष्ठ फल प्राप्त हो सकता है.

मंदिर में इन धातु की प्रतिमाएं नुकसानदेह हो सकती हैं!

  कुछ ऐसे भी धातु हैं जो वास्तु के अनुसार पूजा स्थल के लिए अपवित्र माने जाते है. इनमें प्रमुख हैं लोहा, स्टेनलेस स्टील, और एल्युमिनियम. इन धातु की प्रतिमाओं की पूजा से आपको शुभ फलों के बजाय हानि ही होती है.

घर की साज-सज्जा के लिए!

हाथीः हाथी को ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है. इसलिए घर पर चांदी अथवा पीतल की प्रतिमा शुभ माना जाता है. बेडरूम में चांदी निर्मित हाथी की प्रतिमा से राहु संबंधित दोष दूर होते हैं. फेंगशुई के अनुसार हाथी की प्रतिमा रखने से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है, जिससे धन की वृद्धि होती है.

हंस का जोड़ाः वास्तु के अनुसार ड्राइंग रूम में चांदी अथवा पीतल निर्मित हंस के जोड़े की प्रतिमा रखने से आर्थिक लाभ होता है, और दाम्पत्य जीवन मधुर रहता है.

कछुआः कछुआ को श्रीहरि का स्वरूप माना जाता है, इसलिए जहां कछुआ होता है, वहां लक्ष्मी का भी वास होता है, इसलिए बहुत से लोग मंदिर में कछुए की मूर्ति रखते हैं. पीतल निर्मित कछुए की मूर्ति मंदिर अथवा ड्राइंग रूम में उत्तर या पूर्व की तरफ मुंह करके रखने से धन की वृद्धि होती है.

मछलीः वास्तु और फेंगशुई दोनों के अनुसार, मछली धन और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. घर के मुख्य द्वार से लगे कमरे में उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में पीतल या चांदी की मछली रखने से घर में सुख-शांति रहती है, साथ ही धन की भी प्राप्ति होती रहती है.

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