स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना भारत का सबसे ज्यादा कमाई वाला स्मारक, दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को छोड़ा पीछे
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के तौर पर जानी जाने वाली स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने कमाई के मामले में दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को भी पीछे छोड़ दिया है. गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर बनी यह प्रतिमा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है और इस प्रतिमा का उद्घाटन हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है.
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के तौर पर जानी जाने वाली स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) ने कमाई के मामले में दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल (Taj Mahal) को भी पीछे छोड़ दिया है. गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर बनी यह प्रतिमा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) को समर्पित है और इस प्रतिमा का उद्घाटन हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. यह प्रतिमा भारत के टॉप 5 स्मारकों में सबसे अधिक कमाई वाला स्मारक बन गया है. पुरातात्विक अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देश के टॉप 5 स्मारकों में सबसे ज्यादा कमाई वाला स्मारक बन गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, 182 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है और इसका दीदार करने के लिए भारी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. पर्यटकों की संख्या बढ़ने की वजह से कमाई में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल से आगे है.
एक ओर जहां प्यार की मूरत आगरा के ताजमहल की सालाना कमाई 56 करोड़ रुपए है तो वहीं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की सालाना कमाई 63 करोड़ रुपए है. सरदार वल्लभभाई पटेल की इस प्रतिमा का दीदार करने वाले पर्यटकों के मुकाबले ताजमहल का दीदार करने वाले पर्यटकों की संख्या कम है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टैच्यू के रख-रखाव का खर्च भी काफी ज्यादा है, इसके मेंटेनेंस में हर रोज 12 लाख रुपए खर्च होते हैं. यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की बढ़ती लोकप्रियता से हुए खुश, टाइम मैगजीन द्वारा 2019 की 100 सर्वश्रेष्ठ जगहों की सूची में बनाई जगह
गौरतलब है कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से आकार में दोगुनी है. सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित यह प्रतिमा अहमदाबाद से करीब 200 किमी दूर है और सरदार सरोवर बांध के पास स्थित है. इस प्रतिमा का उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. यह प्रतिमा तेज हवा, कंपन और भूकंप का सामना कर सकती है. इसमें ऑडियो-विजुअल विभाग के साथ एक संग्रहालय भी स्थित है.