Kharmas 2020: खरमास में भूमि, घर, ऑफिस या वाहन खरीदने के लिए जानें क्या है शुभ मुहूर्त, इस माह क्या करें और क्या न करें
पूजा/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Photo)

Kharmas 2020: 15 दिसंबर 2020 से खरमास शुरू हो चुका है, जो 14 जनवरी 2021 तक रहेगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार खरमास माह में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य सम्पन्न नहीं किये जा सकेंगे. लेकिन बहुत से लोग यह समझते हैं कि खरमास में कोई नये कार्य भी नहीं किये जा सकते. ज्योतिषियों के अनुसार खरमास में केवल मंगल कार्य, मसलन परिणय संस्कार, यज्ञोपवित संस्कार, मुंडन संस्कार, एवं गृह प्रवेश तथा गृह पूजन इत्यादि वर्जित है. इस विषय पर किसी भी ज्योतिषि से विस्तार से जानकारी प्राप्त की जा सकती है. लेकिन खरमास में शुभ कार्य के रूप में प्रॉपर्टी अथवा वस्तु विशेष खरीदने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. जिसके लिए बकायदा शुभ मुहूर्त निहित होते हैं. आइये जानें, प्रॉपर्टी अथवा नयी वस्तु की खरीदारी के लिए किस दिन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं.

गौरतलब है कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का महीना शुरु हो जाता है. हिंदू धर्म में इस एक माह तक मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध रहता है यद्यपि इस माह व्यवसायिक कार्य सुचारु रूप से चलते हैं. मसलन भूमि, नये मकान, ऑफिस, फैक्टरी, या वाहन की खरीदारी या बिक्री तथा लेनदेन की जा सकती है. अलबत्ता आभूषण अथवा गृहपयोगी वस्तुओं की खरीदारी अथवा उपयोग से बचना चाहिए. आप चाहे तो इन वस्तुओं की बुकिंग आदि करवा सकते हैं. अब देखते हैं कि वाहन, भूमि नये व्यवसाय के लिए इस खरमास में कौन-कौन से शुभ मुहूर्त बन रहे हैं.

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वाहन खरीदने-बेचने के लिए शुभ मुहूर्त

20 दिसंबर 2020 रविवार

27 दिसंबर 2020 रविवार

30 दिसंबर 2020 बुधवार

01 जनवरी 2021 शुक्रवार

06 जनवरी 2021 बुधवार

08 जनवरी 2021 शुक्रवार

भूमि खरीदने-बेचने के लिए शुभ मुहूर्त

31 दिसंबर 2020 गुरुवार

03 जनवरी 2021 रविवार

04 जनवरी 2021 सोमवार

08 जनवरी 2021 शुक्रवार

09 जनवरी 2021 शनिवार

12 जनवरी 2021 मंगलवार

व्यापार शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त

24 दिसंबर 2020 गुरुवार

27 दिसंबर 2020 रविवार

खरमास में क्या-क्या करना श्रेष्ठ होगा

खरमास माह धर्म, दान, जप-तप आदि के लिए अति उत्तम माना गया है. इस माह सच्ची आस्था और निष्ठा से किया गया दान-धर्म का हजार गुना फल प्राप्त होता है. इसके साथ-साथ खरमास माह में ब्राह्मण, गुरु, गाय एवं साधु-सन्यासियों की सेवा का भी विशेष महत्व होता है. खरमास के माह में पवित्र स्थानों के लिए तीर्थ यात्राएं भी शुभ फलदायक माना जाता है. अगर तीर्थ यात्रा के लिए माहौल नहीं बन रहा है तो घर में विशिष्ठ पूजा आयोजन उदाहरणस्वरूप भागवत गीता, अखण्ड रामायण पाठ, अखण्ड कीर्तन, श्री राम पूजा, सत्यनारायण कथा, श्रीहरि एवं भगवान शिव की पूजा का भी आयोजन शुभ माना जाता है.

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खरमास की पारंपरिक कथा

संस्कृत शब्द में खर का अर्थ गधा होता है. धार्मिक ग्रंथों खरमास के संदर्भ में प्रचलित कथा के अनुसार एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़े के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकले. ब्रह्माण्ड की इस परिक्रमा में उन्हें कहीं भी रुकने अथवा ठहरने पर प्रतिबंध था. मान्यतानुसार उनके किसी भी जगह रुकने या ठहरने तक ब्रह्मण्ड की सारी गतिविधियां थम जातीं. लेकिन निरंतर चलते-चलते उनके घोड़ों को प्यास लग गई. घोड़ों की दयनीय स्थिति देखकर सूर्य देव चिंतित हो गये. वह सारी मर्यादाएं भूलकर घोड़ों को एक जलाशय के समीप लेकर गये, ताकि पानी पीकर घोड़ों की प्यास बुझे एवं दो पल आराम करने का समय भी मिल जायेगा. लेकिन तभी उन्हें अहसास हुआ कि घोड़ों के रुकने से संपूर्ण ब्रह्मण्ड में महाअनर्थ हो जायेगा.

तभी उन्हें एक जलाशय के करीब दो गधे खड़े दिखे, सूर्य देव ने कुछ समय के लिए अपने घोड़ों को भी वहीं रोककर उनकी जगह दो खरों को जोड़ लिया, ताकि रथ निरंतर चलता रहे. यद्यपि घोड़ों की जगह गधों से रथ हंकवाते समय रथ की गति काफी मद्धिम पड़ गयी. थोड़ी देर घोड़ों को आराम कराने के बाद पुनः अपने घोड़ों को रथ से जोड़कर गधों को मुक्त कर दिया. कहते हैं कि सूर्य देव के रथ को गधे खींच रहे थे, वह पूरे एक मास का समय था, इस वजह से इसे खरमास नाम दे दिया गया. इसके बाद से ही सूर्यदेव का यह क्रम चलता आ रहा है, और हर सौर वर्ष में एक सौरमास यानी खरमास आता है.