VIDEO: देशभर में दिख रहा Chandra Grahan का असर, कई धर्मस्थलों के कपाट बंद; जानें किन मंदिरों में जारी रहेगी पूजा
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Lunar Eclipse Today: आज, 7 सितंबर 2025 को रात 9:58 बजे से चंद्रग्रहण ( Chandra Grahan 2025) लगने वाला है, जो रात 1:26 बजे समाप्त होगा. पूर्ण ग्रहण की अवधि लगभग 82 मिनट होगी, जबकि पूरी घटना 5 घंटे से ज्यादा समय तक चलेगी. इससे पहले दोपहर 12:57 बजे से सूतक काल शुरू हो गया था. सूतक लगते ही देश भर के कई बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए. परंपरा के अनुसार, ग्रहण और सूतक (Sutak Kaal) के दौरान भगवान की पूजा या दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है. यही वजह है कि मंदिर प्रशासन ने पूजा के बाद कपाट बंद कर दिए.

अब शुद्धिकरण और विशेष अनुष्ठान के बाद सोमवार सुबह 5:30 बजे मंदिर श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया जाएगा.

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श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद

श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद

कुछ जगह खुले रहे कपाट

शास्त्रों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि ग्रहण और सूतक के दौरान मंदिरों में पूजा, आरती और भोग लगाने का कार्य स्थगित कर दिया जाता है. लेकिन देश में कुछ प्राचीन और मान्यताओं से जुड़े मंदिर ऐसे भी हैं, जहां इस दौरान कपाट बंद नहीं होते और न ही पूजा बंद होती है.

ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं ये मंदिर

1. बीकानेर का लक्ष्मीनाथ मंदिर (Lakshminath Temple of Bikaner): राजस्थान के इस मंदिर में सूतक काल का प्रभाव नहीं माना जाता. यहां मान्यता है कि एक बार ग्रहण के दौरान भगवान एक हलवाई के स्वप्न में आए और भोग न मिलने की शिकायत की. तभी से यहां यह परंपरा चली आ रही है कि ग्रहण या सूतक के दौरान भी मंदिर खुले रहते हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है.

2. गया का विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple of Gaya): बिहार के गया में स्थित इस मंदिर में ग्रहण काल ​​में भी पूजा-अर्चना और पिंडदान का कार्य जारी रहता है. यहां मान्यता है कि इस समय पिंडदान करना विशेष फलदायी होता है.

3. उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple of Ujjain): बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं माना जाता है. यहां सूतक काल में भी पट खुले रहते हैं और भक्त भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते हैं. परंपरा के अनुसार, इस शिवलिंग पर ग्रहण या सूतक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

4. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi): बाबा विश्वनाथ के मंदिर पर भी सूतक का कोई प्रभाव नहीं माना जाता है. ग्रहण शुरू होने से लगभग ढाई घंटे पहले मंदिर दर्शन के लिए बंद कर दिया जाता है, लेकिन सूतक के कारण यहां कपाट बंद नहीं होते. शिव को सभी देवताओं, दानवों और गंधर्वों का स्वामी माना जाता है, इसलिए सूतक का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

5. तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर, केरल (Tiruvarppu Sri Krishna Temple, Kerala): इस मंदिर की मान्यता अन्य सभी मंदिरों से अलग है. कहा जाता है कि एक बार सूर्य ग्रहण के दौरान जब कपाट बंद थे, तो भगवान कृष्ण की मूर्ति भूख के कारण दुर्बल होने लगी और कमर का पट्टा ढीला होकर गिर गया. तभी से यहां यह परंपरा है कि ग्रहण के दौरान भी भगवान को भोग और आरती अर्पित की जाती है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है. Latestly.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.