सनातन धर्म में हर व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान के महात्म्य का व्याख्यान है, लेकिन श्रावण माह और इसमें आनेवाले सोमवार का विशेष महत्व बतलाया गया है. भगवान शिव का सर्वाधिक प्रिय दिन होने के कारण सोमवार को शिव जी का पूरे विधि-विधान से पूजा कर उऩ्हें प्रसन्न करने का शुभ अवसर होता है. 22 जुलाई से चार सोमवारों की श्रृंखला शुरू हो रही है. गौरतलब है कि हर सोमवार के व्रत-अनुष्ठान का अलग महात्म्य एवं अलग फल मिलता है. यदि आपके जीवन में तमाम समस्याएं एवं संकट हैं, आपका करियर अवरुद्ध है, जीवन में बार-बार संकट आ रहे हैं, हर कार्य में विघ्न आ रहे हैं, धन का आगम रुका हुआ है, वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं चल रहा है, कोई रोग बार-बार परेशान कर रहा है, ऐसे में श्रावण के चारों सोमवार को अलग-अलग पदार्थों से शिव जी की पूजा एवं अभिषेक करने से सारे संकटों से मुक्ति मिल सकती है. आइये जानें श्रावण के चारों सोमवार को कैसे करें व्रत एवं अऩुष्ठान...
श्रावणः प्रथम सोमवार-
इस वर्ष श्रावण का पहला सोमवार 22 जुलाई को है. इस सोमवार को सर्वप्रथम रोगों से मुक्ति पाने के उपाय करना चाहिए. इसके लिए बेहतर होगा कि भगवान शिव जी का अभिषेक शुद्ध शहद से करना चाहिए. अभिषेक करने के साथ-साथ शिव महिम्न का स्तोत्र पाठ भी करते रहें. अगर महिम्न स्तोत्र प़ढ़ने में कठिनाई हो रही है तो किसी पुरोहित से विधिवत अभिषेक करवाएं. अथवा शहद से अभिषेक करते हुए केवल महामृत्युंजय मंत्र की 1008 बार जाप करें.
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श्रावणः द्वितीय सोमवार-
श्रावण का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को है. इस दिन व्रत करते हुए सुख-समृद्धि के साथ-साथ जीवन में निरंतर विकास का उपाय भी अमल में लाना चाहिए. सुखद संयोग यह है कि इसी दिन प्रदोष व्रत एवं अमृत सिद्धी का भी दोहरा योग है. इसलिए यह सोमवार विशेष फल देने वाला माना जाता है. इस दिन भगवान आशुतोष का अभिषेक गन्ने का रस अथवा केसर मिले गाय के दूध से करते हुए रूद्र पाठ भी करते रहें. ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसा करने से घर-परिवार में चल रहे आर्थिक संकटों का समाधान होता है. जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की होती है. किसी तरह का कर्ज है तो उससे भी मुक्ति मिलती है.
श्रावणः तृतीय सोमवार-
यह सोमवार भी कुछ दिव्य योगों के साथ आ रहा है. इसी दिन नागपंचमी भी है, जो शिव जी के पूजा का दिन होता है. इसी दिन से सोलह सोमवार के व्रत शुरू किये जाने का विधान भी है. इस दिन कुछ लोग निराहार व्रत भी रहते हैं. मान्यता है कि इस दिन पंचामृत से शिवजी का अभिषेक विशिष्ठ फलदायी होता है. अभिषेक करने के पश्चात बेल पत्र, धतूरा, बेल, आक के फूल और गाय का कच्चा दूध इत्यादि भगवान शिवजी को अर्पित करना चाहिए. अभिषेक करते समय ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप निरंतर करते रहें.
श्रावणः चतुर्थ सोमवार-
श्रावण का यह अंतिम सोमवार होगा, जो 12 अगस्त को है. सुप्रसिद्ध ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग का अभिषेक केसर मिले दूध से करना चाहिए. इससे दांपत्य जीवन में आ रही हर तरह की समस्याओं का निवारण हो जाता है. जिन युवतियों के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, इस दिन व्रत करने से युवती को मनपसंद जीवन साथी प्राप्त होता है. मान्यता है कि शिवलिंग पर केसर मिले गाय का दूध अर्पित करने से व्रती की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कर्ज मुक्ति के लिए श्रावण के इस तीसरे सोमवार को काले पत्थर से निर्मित शिवलिंग पर लाल मसुर की दाल चढ़ाई जाती है. अभिषेक के दरम्यान रुद्राष्टक का पाठ करें तो बेहतर होगा.
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श्रावण का सोमवार अथवा सोलह सोमवार का व्रत करने वालों के लिए शास्त्रों में कुछ नियम उल्लेखित हैं, जिसका विधिवत पालन करने पर ही अभीष्ठ फलों की प्राप्ति होती है. व्रत रखने वालों को निम्न बातों का पालन करना चाहिए.
* अपनी इंद्रियों पर संयम रखें.
* किसी को अपशब्द न कहें.
* असत्य न बोलें ना ही किसी का अपमान करें.
* काम, क्रोध, मोह और लोभ से दूर रहें.
* पूरे दिन ओम नमः शिवाय का जाप करें.
* गरीब एवं कमजोर लोगों को फलों का दान करें.
व्रत के इन विधानों का पालन करने से जीवन की सारी बाधाएं दूर होती है, सुख एवं समृद्धि आती है, मनपसंद जीवन साथी प्राप्त होता है. नौकरी व्यवसाय में आनेवाली बाधाएं दूर होती हैं. इसके साथ ही सारी बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.