शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. मान्यता है कि इस दिन नीले रंग के परिधान पहनकर माँ की पूजा एवं गुड़ का भोग लगाते हैं तो देवी शोक-मुक्त का आशीर्वाद देती हैं.
सनातन धर्म के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन परंपरागत तरीके से माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है. कहते हैं कि माँ कालरात्रि की विधिवत् पूजा करने से जीवन के तमाम रोग-शोक मिटते हैं. सफलता के रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं खत्म होती हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से जातक के शनि-योग के कष्ट भी दूर होते हैं. गौरतलब है कि इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 12 अक्टूबर दिन मंगलवार 2021 को माँ कालरात्रि की पूजा पूरे धूम-धाम के साथ मनाई जायेगी
कालरात्रि देवी का महात्म्य एवं स्वरूप
देवी कालरात्रि के महात्म्य का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में विभिन्न प्रसंगों में विस्तार से मिलता है. भक्तों को अभय देने एवं अज्ञात भयों से मुक्ति दिलानेवाली कालरात्रि का बड़ा महात्म्य है. कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है, जो देखने में काफी भयंकर है, इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. इसी वजह से इन्हें कालरात्रि का नाम दिया गया है. माँ कालरात्रि की चार भुजाएं हैं, इनके गले में विद्युत की दिव्य माला है, और वाहन गधा है. देवी भागवत के अनुसार असुरों के राजा रक्त-बीज का संहार करने के लिए माँ दुर्गा ने कालरात्रि का रूप धारण किया था. इस दिन भक्तों को वैदिक रीति द्वारा अनुष्ठान एवं व्रत का पालन करते हुए पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से जीवन से तनाव, अज्ञात भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. ये दुष्टों एवं बुरी शक्तियों का संहार करती हैं.
ऐसे करें माँ कालरात्रि की पूजा
सप्तमी यानी 12 अक्टूबर के दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करने के पश्चात माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए पूजा का संकल्प लें. चूंकि कालरात्रि की पूजा में नियम, निष्ठा एवं अनुशासन का विशेष ख्याल रखना चाहिए, इसलिए भूलकर भी कोई गलती नहीं होनी चाहिए. सर्वप्रथम मां कालरात्रि की प्रतिमा के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. अक्षत, पुष्प, इत्र, सुपारी, पान का पत्ता देवी को अर्पित करते हुए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें. इसके साथ ही देवी मां को दूध से बने मिष्ठान, पंचमेवा. पांच किस्म के फल एवं गुड़ का भोग लगाना चाहिए. ध्यान रहे, मां कालरात्रि को गुड़ का नैवेद्य बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें गुड़ का नैवेद्य अवश्य अर्पित करें. यह भी पढ़ें : Maha Saptami 2021 Wishes: महा सप्तमी पर ये हिंदी Greetings और HD Wallpapers भेजकर दें शुभकामनाएं
मां कालरात्रि मंत्र:
- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
- ॐ कालरात्र्यै नम:
- ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ स्वाहा
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा, महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा, महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी, गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना
ना नें कौन हैं माँ कालरात्रि एवं क्या है इनका महात्म्य, पूजा-विधि एवं आरती!">