Saraswati Ahvaaan Navratri 2025: शरद नवरात्रि में कब और क्यों होती है सरस्वती आह्वान पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि!

   शरद नवरात्रि के सातवें दिन, महा सप्तमी की पूजा होती है. इस दिन ज्ञान, कला, संगीत और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती के आह्वान का विधान है. सरस्वती आह्वान पूजा से मां सरस्वती भक्तों को बौद्धिक एवं रचनात्मक गतिविधियों का आशीर्वाद देती हैं. अकसर उन्हें उनके मूल स्वरूप श्वेत-उज्जवल साड़ी और चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है, जो मानव-शिक्षा के चार पहलुओं मन, बुद्धि, सतर्कता और अहंकार का प्रतीक है. उनका वाहन हंस, जो विवेक, और कलात्ममक अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. मां सरस्वती को मां शारदा वीणावादिनी एवं त्रिदेवी के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष सरस्वती आह्वान पर्व 29 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं सरस्वती आह्वान पूजा की तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि के बारे में...  

सरस्वती आह्वान नवरात्रि तिथि एवं मूल नक्षत्र शुभ मुहूर्त

सरस्वती आह्वान मूल नक्षत्र आरंभ: 03.55 AM (29 सितंबर 2025)

सरस्वती आह्वान मूल नक्षत्र समाप्त: 06.17AM (30 सितंबर 2025)

उदया तिथि के नियमों के तहत सरस्वती आह्वान पूजा-अनुष्ठान 29 सितंबर 2025 को सम्पन्न होगा.

मूल नक्षत्र सरस्वती आह्वान शुभ मुहूर्त: 10.30 AM से 05.06 PM तक (29 सितंबर 2025)

सरस्वती आह्वान नवरात्रि पूजा का महत्व

प्राचीन हिंदू ग्रंथों में वर्णित है कि देवी सरस्वतीजिन्होंने त्रिमूर्ति (शिवविष्णु और ब्रह्मा) ब्रह्मांड के निर्माण और पालन-पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, सरस्वती आह्वान शब्द ज्ञान और अंतर्दृष्टि की इस प्रतिष्ठित देवी का आह्वान करने को संदर्भित करता हैइस दिन श्रद्धालु अपने बौद्धिक प्रयासोंरचनात्मकता और ज्ञान के लिए देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु उनका आह्वान करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसारभगवान ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की बुद्धि का उपयोग करके ब्रह्मांड का निर्माण किया थाजो किसी भी सफलता को प्राप्त करने में ज्ञान के महत्व को दर्शाता है. सरस्वती आह्वान उनके आविर्भाव का प्राथमिक दिन हैऔर नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में उनकी पूजा की जाती है.

सरस्वती आवाहन नवरात्रि पूजा-अनुष्ठान विधि

  सरस्वती आह्वान पूजा मूल नक्षत्र मुहूर्त में होती है. इनका आह्वान करने और उनका आशीर्वाद तथा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए विशिष्ट मंत्र का जाप करते हैं.

एक स्वच्छ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित देवी सरस्वती का आह्वान मंत्र का जाप करें.

ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

अब निम्न मंत्र का जाप करें, मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं, और साधक को ज्ञान और विद्या लाभ का आशीर्वाद देती हैं

ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोद्यात् 

अब देवी सरस्वती को सफेद पुष्प, कुमकुम और चंदन से सुसज्जित करें, गंगाजल से देवी के चरण को धोएंअब उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए संकल्प लें. देवी सरस्वती को सफेद वस्तु का भोग लगाएं, जिसे नैवेद्यम कहा जाता है. पूजा के पश्चात देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करें.