कौन हैं Alakshmi? जानें लक्ष्मी और अलक्ष्मी में अंतर! आखिर क्यों कहते हैं इन्हें ‘दुर्भाग्य की देवी’?
देवी लक्ष्मी, (File Photo)

Lakshmi and Alakshmi: सुख, शांति और समृद्धि के प्रतीक स्वरूप हिंदू धर्म में लोग मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) की पूजा-अर्चना करते हैं. भारतीय धर्म शास्त्रों में लक्ष्मी जी को विष्णु-प्रिया यानी श्रीहरि की पत्नी बताया गया है. इसके साथ-साथ लक्ष्मी जी के महात्म्य की तमाम गाथाएं धर्म ग्रंथों में वर्णित है. लोग अपनी सामर्थ्यानुसार भक्ति भाव से मां लक्ष्मी की पूजा एवं यज्ञादि करते हैं ताकि उन्हें प्रसन्न कर भौतिक जीवन सुखमय बना सकें. हिंदू धर्म में बच्चों से वृद्ध तक मां लक्ष्मी की महिमा से वाकिफ हैं, लेकिन क्या आप अलक्ष्मी (Alakshm) के बारे में जानते हैं? आखिर कौन हैं अलक्ष्मी? क्या है उनकी महिमा और महात्म्य? जानें लोग क्यों उनसे दूर रहना पसंद करते हैं.?

अलक्ष्मी का उद्भव

भागवत महापुराण में वर्णित है कि समुद्र-मंथन में कुल 14 रत्न निकले थे, इन्हीं में एक माँ लक्ष्मी थीं, जो श्रीहरि को वरण हुईं. लेकिन उनसे पूर्व समुद्र-मंथन से माता अलक्ष्मी का उद्भव हो चुका था, कहते हैं कि अलक्ष्मी जब समुद्र मंथन से बाहर आयीं तो उनके हाथों मदिरा से भरा कलश था, तब राक्षसों की इच्छा पर भगवान विष्णु ने अलक्ष्मी को असुर पक्ष में शामिल होने की इजाजत दे दी. इसीलिए वे 14 रत्नों में नहीं हैं. चूंकि माता अलक्ष्मी का उद्भव एक ही जगह यानी समुद्र मंथन से हुआ था, इसीलिए दोनों को बहन माना जाता है. भागवत महापुराण में देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन माता अलक्ष्मी का जिक्र है. मान्यता है कि जहां देवी अलक्ष्मी वास करती हैं, वहां अशुभ घटनाएं, पाप, आलस, गरीबी, दुख और बीमारियां निरंतर बनी रहती हैं, इसलिए इन्हें दुर्भाग्य की देवी माना जाता है.

फर्क लक्ष्मी औऱ अलक्ष्मी में

मां लक्ष्मी के एकदम विपरीत होती हैं अलक्ष्मी. माता लक्ष्मी धन एवं वैभव लाती हैं, तो वहीं अलक्ष्मी दरिद्रता लाती हैं. इसीलिए लोग लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिए तमाम पूजा-अनुष्ठान करते हैं, जबकि अलक्ष्मी से बचने की हर संभव कोशिश करते हैं. माँ लक्ष्मी को मिठाइयां बहुत पसंद हैं, जबकि अलक्ष्मी को खट्टी और कड़वी चीजें पसंद हैं. यही वजह है कि मिठाई घर के भीतर रखी जाती है, वहीं नींबू और हरी मिर्च घर से बाहर टांगी जाती हैं. माँ लक्ष्मी की बहन होने के कारण लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनों को स्वीकार तो किया जाता है, मगर स्वागत केवल मां लक्ष्मी का ही किया जाता है. लक्ष्मी के दो रूप होते हैं, एक भूदेवी दूसरी श्रीदेवी. भूदेवी पृथ्वी की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी हैं. भूदेवी स्वर्ण एवं अन्न की वर्षा करती हैं, जबकि श्रीदेवी शक्तियां, समृद्धि और पहचान देती हैं. यह भी पढ़ें: देवी लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न! बनी रहेगी धन-धान्य और सुख-समृद्धि!

कहां वास करती हैं अलक्ष्मी?

मान्यता है कि अलक्ष्मी ऐसे घर में विराजती हैं, जहां गंदगी, कलह-कलेश, दरिद्रता, अधर्म, आलस्य इत्यादि होता है. अगर देवी लक्ष्मी की पूजा अचर्ना के बावजूद घर में धन-हानि, कलह-कलेश रहता है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके घर में अलक्ष्मी का प्रभाव है.

लक्ष्मी को पाने और अलक्ष्मी से बचने के लिए ये कार्य करें.

  • दुकान की सफाई मोर पंख से करें. लक्ष्मी आयेंगी और अलक्ष्मी जायेंगी.
  • अलक्ष्मी को घर से बाहर रखने के लिए हर शनिवार को एक नींबू और 7 हरी मिर्च मौली में बांधकर घर या दुकान के मुख्यद्वार पर लगाएं.
  • एक पुराना जूता घर की छत पर लटका दें. अलक्ष्मी घर में नहीं आयेंगी.
  • घर में बैठी हुई लक्ष्मी की मुद्रा वाली फोटो लगायें.
  • दुकान में खड़ी मुद्रा वाली तस्वीर लगायें.
  • माँ लक्ष्मी पर 16 कमल गट्टे चढ़ाएं और बाद में इसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें.
  • घर के अवशेषों यानी कूड़े-करकड़ को प्रत्येक अमावस्या के दिन घर के बाहर ले जाकर जला दें.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.